Kajari Teej 2024 संतान प्राप्ति के लिए कजरी तीज है बहुत खास, आज जरूरी करें ये आसान काम

Kajari Teej 2024 संतान प्राप्ति के लिए कजरी तीज है बहुत खास, आज जरूरी करें ये आसान काम
 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन कजरी तीज को बहुत ही खास माना गया है जो कि हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाया जाता है इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना का विधान होता है कजरी तीज को कज्जली तीज, सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है जो कि रक्षाबंधन के तीन दिन बाद मनाई जाती है

इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखकर पूजा पाठ करती है इसी के साथ ही कजरी तीज की तिथि संतान प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस साल कजरी तीज का व्रत आज यानी 22 अगस्त दिन गुरुवार को रखा जा रहा है। ऐसे में अगर तीज पूजा के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की आरती पढ़ी जाए तो भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और संतान सुख का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। 

माता पार्वती की आरती 

जय पार्वती माता जय पार्वती माता

ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता

जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुणगु गाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा

देव वधुजहं गावत नृत्य कर ताथा।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता

हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

शुम्भ निशुम्भ विदारेहेमांचल स्याता

सहस भुजा तनुधरिके चक्र लियो हाथा।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता

नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

देवन अरज करत हम चित को लाता

गावत दे दे ताली मन मेंरंगराता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता

सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।

जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।

शिव जी की आरती 

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥