Barmer सिणधरी के बजरंग पशु मेले में पहुंचे 371 ऊंट व ऊंटनियां
बाड़मेर न्यूज़ डेस्क, सिणधरी उपखंड मुख्यालय पर मेला मैदान में बजरंग पशु मेले का आयोजन किया गया। कोरोना काल के बाद दूसरी बार पशु मेले का आयोजन किया गया है। इस बार मेले में अच्छी संख्या में पशु बिक्री के लिए पहुंचे। इस बार मेले में एक ऊंट सबसे ज्यादा 42 हजार में बिका, जिसे रूपाराम पशुपालक निवासी सानेर नोखा ने खरीदा। पशुपालक ने बताया कि ऊंट अच्छी नस्ल का होने के कारण वह इसे अपने खेत में कृषि कार्य के लिए उपयोग करेगा। वहीं अन्य ऊंटों की बिक्री हुई। पिछले कई सालों से पर्यटन स्थलों पर ऊंट दौड़ होने लगी है। जहां लोग ऊंट दौड़ देखने आते हैं। ऊंट की सवारी करने रेगिस्तानी इलाके में आने वाले पर्यटक भी अच्छा ऊंट देखकर सवारी करते हैं। इसीलिए इस बार बाड़मेर के सिणधरी ऊंट मेले में 105 ऊंट बिके हैं और एक ऊंट की अधिकतम कीमत 42 हजार तक रही। पशु मेले के समापन समारोह के दौरान विधायक व अन्य लोग मौजूद रहे। फिलहाल मेला मैदान में दो माह तक मंडी लगेगी। ऊंट संरक्षण की नीति के बाद ऊंट पालकों में जगी उम्मीद
ऊंट को संरक्षण के लिए राज्य पशु घोषित किया गया, लेकिन इसकी कीमत घटती जा रही है। इस बीच इस बार सिणधरी से खुशी की खबर आई है। जहां बजरंग पशु मेले में एक साथ 356 ऊंट पहुंचे और 6 दिवसीय मेले में 105 की बिक्री भी हुई। सबसे ज्यादा ऊंट 42 हजार और सबसे कम 10 हजार 500 में बिका। ऊंटों में आए इस बदलाव को ऊंट संरक्षण के लिए अच्छा संकेत माना जा रहा है।
52 साल से लग रहा है बजरंग पशु मेला, अकाल और कोरोना काल में नहीं लगा, इस बार है रौनक
पंचायत समिति सिणधरी कस्बे में 52 साल से बजरंग पशु मेले का आयोजन करती आ रही है। कोरोना के बाद यह मेला दूसरी बार लगा है। इससे पहले कई साल पहले अकाल के कारण बंद कर दिया गया था। लेकिन पिछले साल से इस बार 356 ऊंट और 15 ऊंटनियां मेले में आई।
इस ऊंट मेले में यह संख्या सिर्फ बाड़मेर ही नहीं बल्कि कई अन्य जिलों से भी है। 105 ऊंटों की खरीद-फरोख्त हो चुकी है। मेले में तीन घोड़ियां भी पहुंचीं, लेकिन उनकी खरीद-फरोख्त नहीं हुई। मंगलवार को मेले का समापन समारोह हुआ। समापन के अवसर पर प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर आने वाले ऊंट पालकों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।