Pali मिलावटी दूध नहीं बना रहा सेहत, बीमारी से कर सकता है ग्रसित

Pali मिलावटी दूध नहीं बना रहा सेहत, बीमारी से कर सकता है ग्रसित
 
पाली न्यूज़ डेस्क, पाली  दूध, जिसे अमृत माना है। वह सपूर्ण आहार है। वह कई स्तर पर पोषण देने वाला नहीं रह गया है। उसका सेवन करने से बीमारियों से भी ग्रसित हो सकते है। कारण है दूध की गुणवत्ता खराब होना। दुधारू मवेशी को दुहने से लेकर दूध के घर पहुंचने तक बहुत सावधानी की जरूर होती है। इसका कई दूध बेचने वाले याल नहीं रखते है। दूध विक्रेता ज्यादातर दूध को लोहे व प्लास्टिक के कैन में भरकर लाते हैं। लोहे के कैन में जंग लगा होता है, वह हाइजेनिक भी नहीं है। इससे दूध की गुणवत्ता खराब होती है। प्लास्टिक के कैन में भी दूध खराब हो जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार दूध दुहने से पहले अच्छी तरह से हाथ धोने चाहिए। दूध निकालने के लिए उपयोग होने वाली बर्नी, बाल्टी आदि स्टेनलेस स्टील की साफ होनी चाहिए। उसे धोने के बाद धूप में अच्छी तरह से सुखाकर उपयोग करना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है।

मवेशियों को इंजेक्शन लगाना गलत

कई पशुपालक दूध दुहने के लिए मवेशी को ऑक्सीटॉसिन का इंजेक्शन लगाते है। इससे मवेशी दूध तो तुरंत देता है, लेकिन उसकी गुणवत्ता खराब हो जाती है। इसके साथ ही दूध में कई दुधिये पानी मिलाते है। वे हैण्डपप या नाडी आदि का पानी भी उपयोग कर लेते है। इससे भी दूध खराब हो जाता है।

इन बातों का रखना चाहिए ध्यान

-पशु की गादी (थन) व पीठ को दुहने से पहले अच्छे से पानी से धोना चाहिए। उसे साफ नेपकिन से सुखाने के बाद दूध निकाला जाना चाहिए।

-दुहते समय धरातल साफ होना चाहिए।

-बीमार मवेशी का दूध उपयोग नहीं करना चाहिए। उनके दूध में दवाओं का प्रभाव होता है।

डेयरी में दूध की गुणवत्ता व मिलावट का पता लगाने के लिए एफटीआइआर मशीन का उपयोग किया जाता है। दूध में यदि गंध आ रही है या चखने पर स्वाद अलग लगे तो वह खराब होता है। उपभोक्ता डेयरी की प्रयोगशाला में दूध की जांच करवा सकते हैं। डेयरी की ओर से भी दूध का दूध व पानी का पानी अभियान चलाकर जांच की जाती है। डेयरी में दूध को मानकों के तहत 72 डिग्री सेंटीग्रेड पर पाश्च्यूरिकृत किया जाता है। उसे पूरी तरह से हाइजेनिक कर उपभोक्ता तक पहुंचाया जाता है।