Pali मिलावटी दूध नहीं बना रहा सेहत, बीमारी से कर सकता है ग्रसित
मवेशियों को इंजेक्शन लगाना गलत
कई पशुपालक दूध दुहने के लिए मवेशी को ऑक्सीटॉसिन का इंजेक्शन लगाते है। इससे मवेशी दूध तो तुरंत देता है, लेकिन उसकी गुणवत्ता खराब हो जाती है। इसके साथ ही दूध में कई दुधिये पानी मिलाते है। वे हैण्डपप या नाडी आदि का पानी भी उपयोग कर लेते है। इससे भी दूध खराब हो जाता है।
इन बातों का रखना चाहिए ध्यान
-पशु की गादी (थन) व पीठ को दुहने से पहले अच्छे से पानी से धोना चाहिए। उसे साफ नेपकिन से सुखाने के बाद दूध निकाला जाना चाहिए।
-दुहते समय धरातल साफ होना चाहिए।
-बीमार मवेशी का दूध उपयोग नहीं करना चाहिए। उनके दूध में दवाओं का प्रभाव होता है।
डेयरी में दूध की गुणवत्ता व मिलावट का पता लगाने के लिए एफटीआइआर मशीन का उपयोग किया जाता है। दूध में यदि गंध आ रही है या चखने पर स्वाद अलग लगे तो वह खराब होता है। उपभोक्ता डेयरी की प्रयोगशाला में दूध की जांच करवा सकते हैं। डेयरी की ओर से भी दूध का दूध व पानी का पानी अभियान चलाकर जांच की जाती है। डेयरी में दूध को मानकों के तहत 72 डिग्री सेंटीग्रेड पर पाश्च्यूरिकृत किया जाता है। उसे पूरी तरह से हाइजेनिक कर उपभोक्ता तक पहुंचाया जाता है।