राजस्थान में 'डमी कैंडिडेट' के बाद अब 'फर्जी खिलाड़ी' भी पकड़ा गया, जानें मामला

राजस्थान में 'डमी कैंडिडेट' के बाद अब 'फर्जी खिलाड़ी' भी पकड़ा गया, जानें मामला
 

अजमेर न्यूज़ डेस्क, भर्ती परीक्षाओं में आपने डमी कैंडिडेट को मूल अभ्यर्थी की जगह परीक्षा देने की खबर तो कई बार सुनी होगी. मगर इस बार अजमेर में आयोजित की गई इंटर कॉलेज एथलेटिक्स मीट (Inter College Athletics Meet) में मूल खिलाड़ी की जगह फर्जी खिलाड़ी (Fake Player) दौड़ने का मामला सामने आया है. इस मामले में स्पोर्ट्स बोर्ड के सचिव डॉक्टर दिग्विजय सिंह चौहान ने पूरे मामले की जानकारी ली है.

एक महिला खिलाड़ी ने बदला नंबर

अजमेर की महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी (MDSU) की ओर से तीन दिवसीय आयोजित की गई 37वीं इंटर महाविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में दो फर्जी धावक पकड़े गए. वहीं एक महिला खिलाड़ी द्वारा चेस्ट नंबर भी बदल गया. अब इस मामले में स्पोर्ट्स बोर्ड द्वारा कार्रवाई की बात की जा रही है. DAV कॉलेज के खेल अधिकारी डॉक्टर असगर अली और आयोजन सचिन नैना राम जाजडा द्वारा खिलाड़ियों पर शक होने पर उनके दस्तावेज की जांच की गई, जिसमें मूल खिलाड़ी के कॉलेज के पहचान पत्र से फर्जी खिलाड़ी की फोटो अलग पाई गई.

रोते हुए महिला ने कबूल की गलती

प्रतियोगिता में हाफ मैराथन (21 किलोमीटर) में टोंक के पन्नाधाय कॉलेज के MA फाइनल के छात्र मांगीलाल गुर्जर ने अपनी जगह एक स्कूली छात्र को दौड़ा दिया. इसी तरह 100 मीटर दौड़ स्पर्धा में नागौर के एसबीआरएम गवर्नमेंट कॉलेज की छात्रा को अलॉट किया गया चेस्ट नंबर नहीं लगाकर दूसरा चेस्ट नंबर लगाकर प्रतियोगिता में भाग लिया. जब इसके दस्तावेज चेक किए गए तो छात्रा रोने लगी और उसने अपनी गलती मान ली. उसको तुरंत प्रभाव से प्रतियोगिता से डिसक्वालीफाई कर दिया गया. महिला होने के चलते नाम उजागर नहीं किया गया.

सरकारी नौकरी में स्पोर्ट्स कोटे का लाभ

खेल अधिकारी असगर अली और आयोजन सचिव नैना राम जाजड़ा ने एनडीटीवी को बताया कि राजस्थान में अलग-अलग 56 से ज्यादा विभागों और रेलवे में खेल कोटे से होने वाली विभिन्न भर्तियों में स्पोर्ट्स सर्टिफिकेट का लाभ मिलता है. इसके साथ ही बी पी एड और एम पी एड  कोर्स में इन खेल प्रमाण पत्र का लाभ मिलता है. इसको ध्यान में रखते हुए कुछ फर्जी खिलाड़ी पैसे देकर अपनी जगह दूसरे अच्छे खिलाड़ियों को प्रतियोगिता में भाग दिला देते हैं. ऐसे ही उदाहरण इस प्रतियोगिता में देखने को मिले.

1 से 3 साल के लिए हो सकते हैं डिबार

खेल जानकार और आयोजन कर्ताओं ने यह भी बताया कि इस तरीके से प्रतियोगिता में डमी खिलाड़ियों को शामिल कर मूल खिलाड़ी की जगह डमी खिलाड़ियों को दौड़ना अब कॉलेज और खिलाड़ियों के लिए महंगा साबित हो सकता है. स्पोर्ट्स सचिव दिग्विजय सिंह को पूरे मामले की जानकारी दी गई है. नियम अनुसार जांच पूरी होने पर अगर आरोप प्रमाणित पाए जाते हैं तो संबंधित कॉलेज और खिलाड़ी 1 से 3 साल के लिए आने वाली विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिता से बाहर किए जा सकते हैं.