Bundi साढ़े नौ सौ किलोमीटर दूर जगा बूंदी की थाती का दर्द, जिम्मेदार कर रहे अनदेखा

Bundi साढ़े नौ सौ किलोमीटर दूर जगा बूंदी की थाती का दर्द, जिम्मेदार कर रहे अनदेखा
 
बूंदी न्यूज़ डेस्क , बूंदी  छोटी काशी का नाम सुनते ही आंखों के सामने खूबसूरत किले, महल, कुंड बावडियां और हेरिटेज गलियां व झीलें आ जाती है। पूरा सम्पदा से भरी पड़ी बूंदी में पर्यटन के क्षेत्र में काफी उतार चढ़ाव आए है। इसी उतार चढ़ाव के बीच यहां के पर्यटन को ऊंची उड़ान देने की कोशिश की है एक अंतर्राष्ट्रीय चित्रकार ने। कई राज्यों में अपनी चित्रकारी का हुनर दिखा चुका यह चित्रकार है मुम्बई के विक्रांत शितोले। जब 2013 में पहली बार यह चित्रकार बूंदी आया तो यहां की विरासत के इतने कायल हुए की बूंदी में सात बार आकर यहां की विरासत को केनवास पर उकेर कर लोगो को रूबरू करा चुके है। 2024 में जब विक्रांत बूंदी आए तो कुछ अलग करने की ठानी कि यहां की विरासत को देश भर के लोगो को कैसे रूबरू कराया सकते है। उन्होंने बूंदी की विरासत की पेंटिंग बनाकर मुम्बई में 7 दिन तक प्रदर्शनी के माध्यम से लोगो को यहां की विरासत से रूबरू कराया।

मुम्बई के लोग बूंदी की विरासत को देखकर दंग रह गए। विक्रांत ने इससे भी बढ़कर बूंदी का पर्यटन ऊंची उड़ान भर सके, इसके लिए पेंटिंग की एक बुक प्रकाशित करवा दी। बुक में बूंदी की विरासत की कई पेंटिंग है, जो लोगों को यहां आने के लिए सन्देश दे रही है। शितोले बताते है कि बूंदी के पर्यटन को बढ़ाने का हर सम्भव प्रयास करेंगे और बूंदी महोत्सव में भी ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़े इसका प्रचार प्रसार कर रहे है,जो कार्य हम काफी सालों से नहीं कर सके वो एक चित्रकार ने कर दिखाया। बुक में चित्रकार ने सुखमहल, गढ़ पैलेस, शिकार बुर्ज, हाथीपोल, चौगान गेट, पुरानी कोतवाली गेट, नवलसागर झील, पुरानी हवेलिया, हेरिटेज गालियां, झरोखे, बाजार, चारभुजा मंदिर, चौगान जैन मंदिर आदि के चित्र है। साथ ही स्केच के चित्र व हवेलियों व बावडी, गेट के मिट्टी के मॉडल भी है।