बालिका वधु को पहली बार कोर्ट ने दिलवाया वाद का खर्च, वीडियो में देखें पूरी खबर

बालिका वधु को पहली बार कोर्ट ने दिलवाया वाद का खर्च, वीडियो में देखें पूरी खबर
 

जोधपुर न्यूज़ डेस्क !!! जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय संख्या 2 ने बाल विवाह को निरस्त करने का फैसला सुनाया है। इसके साथ ही कोर्ट ने बालिका वधू का उसके पति पक्ष से वाद का खर्च दिलवाने के भी आदेश दिए हैं। दावा किया जा रहा है कि बाल विवाह मामले में बालिका वधू को वाद खर्च दिलवाने का यह पहला फैसला है।

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सारथी ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी एवं पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती ने बताया कि अनीता की शादी महज 4 महीने की उम्र में हो गई थी. वह पिछले बीस वर्षों से बाल विवाह से पीड़ित थी। पारिवारिक न्यायालय संख्या 2, जोधपुर के न्यायाधीश वरुण तलवार ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अनिता के बाल विवाह को रद्द कर दिया। कोर्ट ने ये फैसला 23 सितंबर को सुनाया. वहीं, सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति भारती के प्रयासों से फैमिली कोर्ट ने पहली बार बाल विवाह निरस्तीकरण मामले में तथाकथित पति को बालिका वधू का खर्चा देने की अनूठी मिसाल दी है। डॉ. कृति भारती ने बताया कि ट्रस्ट की पहल पर अब तक 52 निर्दोष जोड़ों का बाल विवाह रद्द कराया जा चुका है।

21 वर्ष की आयु में रद्द कर दिया गया

जोधपुर जिले के ग्रामीण इलाके में रहने वाले एक किसान परिवार की बेटी 21 वर्षीय अनिता का महज 4 महीने की उम्र में बाल विवाह कर दिया गया था. तब से वह लगातार बाल विवाह का दंश झेल रही है। ससुराल वाले लगातार उस पर ससुराल भेजने का दबाव ना रहे थे। कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष धमकियाँ थीं।

इसी बीच अनिता को सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी एवं पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती से बाल विवाह उन्मूलन अभियान की जानकारी मिली। अनिता ने डॉ. कृति से मुलाकात कर अपनी पीड़ा बताई। जिसके बाद डॉ. कृति ने जोधपुर के फैमिली कोर्ट नंबर 2 में अनिता के बाल विवाह को रद्द करने की याचिका दायर की.

कोर्ट ने समाज से बाल विवाह के कलंक को मिटाने का संदेश दिया

कुटुंब न्यायालय में अनिता की ओर से डॉ. कृति भारती ने पैरवी की और बाल विवाह एवं उम्र संबंधी तथ्यों को प्रकाश में लाया। जिसके बाद फैमिली कोर्ट नंबर दो के न्यायाधीश वरुण तलवार ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अनीता के बाल विवाह को रद्द कर दिया, जो 20 साल पहले तब हुआ था जब वह सिर्फ 4 महीने की थी। इसके साथ ही सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति के प्रयास पर कोर्ट ने बालिका वधू को तथाकथित पति का खर्चा दिलाने का फैसला सुनाया। न्यायाधीश तलवार ने समाज को बाल विवाह के खिलाफ कड़ा संदेश देते हुए कहा कि बाल विवाह न केवल एक बुराई है बल्कि अपराध भी है. इससे बच्चों का भविष्य खराब हो जाता है। यदि लड़की या लड़का बाल विवाह जारी नहीं रखना चाहता तो उसे बाल विवाह समाप्त करने का अधिकार है। बाल विवाह की कुरीति को मिटाने के लिए समाज के स्तर पर महत्वपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता है।

डॉ. कृति अब तक 52 जोड़ों के बाल विवाह निरस्त करा चुकी हैं

डॉ. कृति भारती ने देश का पहला बाल विवाह रद्द कराने के बाद लगातार अभियान चलाकर 52 जोड़ों का बाल विवाह रद्द कराने का रिकॉर्ड कायम किया है। देश में 2100 से अधिक बाल विवाह रोके जा चुके हैं। बाल एवं महिला अधिकार कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता डॉ. कृति का नाम 9 राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो चुका है।

राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!!