Kota पेंटेड स्टॉर्क जमाने लगे डेरा, बसाने लगे बस्ती

Kota पेंटेड स्टॉर्क जमाने लगे डेरा, बसाने लगे बस्ती
 
कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा पेंटेड स्टॉर्क का उदपुरिया से मोहभंग हो गया था, लेकिन अब पक्षी प्रेमियों के लिए खुशखबर है कि ये पक्षी फिर से अपने पुराने घर उदपुरिया में डेरा जमाने लगे हैं। पिछले दिनों से उदपुरिया तालाब के आसपास काफी संया में इन पक्षियों को देखा जा रहा है। पक्षी विशेषज्ञ और नेचर प्रोमोटर एएच जैदी समेत अन्य बताते हैं कि पिछले वर्षों में उदपुरिया पक्षियों से खाली हो गया था, लेकिन अब अच्छी संया में पक्षी दिख रहे हैं, यह अच्छा संकेत है। उदपुरिया कोटा शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर दीगोद तहसील में है। यह क्षेत्र तीन दशकों से इन पक्षियों को रास आ रहा है। पक्षी प्रेमी श्याम जांगिड़ व जूलॉजी विभाग में सहायक आचार्य राजेन्द्र बताते हैं कि यहां 60 करीब पक्षियों के घौसले बने हुए हैं, यह सुखद है।

250 से 300 के करीब पहुंच गई थी संया

जैदी बताते हैं कि वे 1995 से पेंटेड स्टॉर्क को रिपोर्ट कर रहे हैं। यह क्षेत्र पक्षियों को इतना रास आने लगा कि वर्ष दर वर्ष इनकी संया में इजाफा होने लगा। शुरू में 40 घौसले नजर आए थे। ये भी आबादी के बीच पेड़ों पर थे। बाद में आसपास फैल गए और घौसलों की संया 250 के करीब पहुंच गई। वर्ष 2015 के बाद दो साल तक इन पक्षियों ने यहां कॉलोनी नहीं बनाई। वर्ष 2018 के बाद घौसले बने, लेकिन गिनती के। अधिकतर पक्षियों ने अन्य स्थानों पर घौसले बनाना शुरू कर दिया। इस वर्ष चार-पांच दर्जन के बीच घौसले नजर आए हैं। जानकार बताते हैं कि जुलाई-अगस्त में इनका ब्रीडिंग सीजन शुरू हो जाता है। बच्चे बड़े होने तक इनकी विशेष चहल-पहल रहेगी।

संरक्षण जरूरी

जैदी बताते हैं कि यह पर्यावरण का एक अंग है। सभी जीव-जतुओं का संरक्षण होना चाहिए। पेड़ों की संया में कम होने और सुरक्षा व पर्याप्त भोजन पानी नहीं मिलता है तो पक्षी अन्य स्थानों पर चले जाते हैं। सड़क किनारे, तालाब में लगे पेड़ों पर इन पक्षियों ने घौसले बनाए हैं। पहले यहां 200 के करीब पेड़ थे, अब संया काफी कम हो गई है। अधिकतर पेड़ सूख गए हैं। पक्षियों के संरक्षण के लिए पेड़ लगाने होंगे। तालाब के चारों ओर ट्रैक, वॉच टावर व पर्यटकों के लिए बैठक व्यवस्था हो तो बेहतर हो सकता है।