कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा
स्वैच्छिक रक्तदान के क्षेत्र में राजस्थान में आज भी कोटा अव्वल है। कोटा में 80 प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान होता है। कोटा में रक्तदान को लेकर काफी जागरूकता आई है, लेकिन अभी और चेतना जाग्रत करने की आवश्यकता है। विदेश की तर्ज पर यहां भी रक्तदान करने के लिए लोग स्वत: ही ब्लड बैंक पहुंच रहे हैं और यह परिपाठी कोटा में शुरू हो गई है, जब लोग ऑफिस जाने से पूर्व या छुट्टी होने के बाद रक्तदान करते हैं। इसके अलावा युवाओं में एक नया बदलाव भी देखने को मिल रहा है। वे अपने जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ और अपनों की याद में पुण्यतिथि पर रक्तदान करते हैं। कोटा शहर में 2 सरकारी व 9 निजी ब्लड बैंक हैं। इनमें हर वर्ष 70 से 80 हजार यूनिट रक्तदान होता है। हालांकि गर्मी के दिनों में रिप्लसमेंट डोनर की कमी आ जाती है। स्वैच्छिक रक्तदान को लेकर लोगों में जागरूकता आए, भ्रांतियां दूर हों और नई सकारात्मक नीतियां सरकार लाए, ताकि शत प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान संभव हो सके, इसी उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस 1 अक्टूबर को मनाया जाता है। कुछ चुनिंदा लोगों से बात की, जो इंसानियत की भावना लेकर रक्तदान करते हैं।
यह नहीं कर सकते रक्तदान
हार्ट अटैक, हीमोग्लोबिन 12 से कम होना, 18 वर्ष से कम आयु वर्ग, डायबिटीज, बीपी, स्किन डिजीज, अस्थमा अटैक या किसी ऑपरेशन से गुजरने वाले रक्तदान नहीं कर सकते।
वैवाहिक वर्षगांठ पर करते हैं रक्तदान
अतुल विजय व पत्नी हेमा विजय वर्ष में दो बार रक्तदान करने की परम्परा को वर्षों से निभा रहे हैं। वैवाहिक वर्षगांठ पर रक्तदान करना नहीं भूलते। अतुल डीसीएम कंपनी में कार्यरत हैं, और हेमा गृहिणी हैं। अब तक वे 13 बार जोड़े से रक्तदान कर चुके हैं।
दृष्टिबाधित राजेश कर चुके 45 बार रक्तदान
तलवंडी निवासी दृष्टिबाधित राजेश गौतम करीब 45 बार रक्तदान कर चुके हैं। उनका मानना है कि रक्तदान को लेकर समाज में जागरूकता आए। मानवता के नाते लोगों की सेवा हो सके और लोगों का जीवन बच सके। यही उनका उद्देश्य है।