Nagaur शारदीय नवरात्रि की तैयारियां तेज, बाजारों में बढ़ी रौनक
शहर में सजेंगे मां दुर्गा के पंडाल : शारदीय नवरात्र में घरों एवं मंदिरों में घट स्थापना की जाएगी। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में मां दुर्गा की प्रतिमा भी विराजित कराई जाएगी। इन पंडालों में नवरात्रि के दौरान विविध धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन होंगे।
ऐसे करें कलश स्थापना
कलश की स्थापना मंदिर या घर के उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए। मां की चौकी लगा कर कलश को स्थापित करें। चाहिए। स्नान के बाद सबसे पहले कलश स्थापना वाली जगह को गाय के गोबर से लीप लें या गंगाजल छिडक़ कर पवित्र कर लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश स्थापित करें। कलश में जल या गंगाजल भरें और इसमें आम का पत्ता रखें। उसके ऊपर लाल चुनरी में लपेटकर नारियाल रखें। साथ में एक सुपारी, सिक्के, हल्दी की एक गांठ कलश में डालें। अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें। इन्हें लाल या गुलाबी चुनरी ओढ़ा दें। कलश स्थापना के साथ अखंड दीपक की स्थापना भी की जाती है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करें।
शारदीय नवरात्र के कलश स्थापना के लिए 2 शुभ मुहूर्त हैं। एक मुहूर्त सुबह और दूसरा मुहूर्त दोपहर के समय में है। पहला मुहूर्त में सुबह शुभ चौघडिय़ा में 6 बजकर 32 मिनट से 8 बजे तक रहेगा। द्विस्वभाव लग्न अनुसार घट स्थापना के लिए सुबह कन्या लग्न 6 बजकर 32 मिनट से 7 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। सुबह घटस्थापना के लिए 1 घंटा 28 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा। जो लोग सुबह कलश स्थापना करना चाहते हैं, उनके लिए यह समय ठीक है। नवरात्र के घटस्थापना के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर में है। यह अभिजीत मुहूर्त है। इसे कलश स्थापना के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इसके साथ ही इस समय द्विस्वभाव धनु लग्न भी उपलब्ध रहेगा। दोपहर में 12 बजकर 1 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इस दौरान घट स्थापना की जा सकती है। घट स्थापना के लिए मध्यान्ह काल के बाद का समय उचित नहीं माना जाता है।
देवी पुराण में इसे शुभ माना है
दाधीच ने बताया कि इस बार शारदीय नवरात्र पर मां दुर्गा की सवारी पालकी रहेगी। हालांकि यह इस पर निर्भर करता है कि नवरात्रि का शुभारंभ किस दिन से हो रहा है। मंगलवार और शनिवार को नवरात्रि का आरंभ होता है तो मां दुर्गा की सवारी अश्व यानी घोड़ा मानी जाती है। यदि नवरात्रि गुरुवार और शुक्रवार को आरंभ होती है तो मां दुर्गा की सवारी डोली और पालकी मानी जाती है।