क्या सच में इंदिरा गाँधी सरकार को मिला था जयगढ़ का अरबों का खज़ाना? वीडियो में देखें इसके पीछे की काली सच्चाई
राजस्थान न्यूज डेस्क् !!! भारत एक ऐसा देश है जहां देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग घूमने आते हैं। जिनमें से कुछ मशहूर जगहें हैं, जहां साल भर पर्यटकों की भीड़ देखने को मिलती है। इन्हीं में से एक नाम है राजस्थान का. आपको बता दें कि राजस्थान भारत का एक ऐसा राज्य है जो ऐतिहासिक महलों का गढ़ माना जाता है। यहां के प्रमुख शहरों में जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, जैसलमेर, अजमेर और बाड़मेर शामिल हैं।
ये सभी ऐतिहासिक और रहस्यमय किले हैं। तो आज हम आपको ऐतिहासिक किला जयगढ़ के बारे में बताने जा रहे हैं। बता दें कि यह किला पिंक सिटी से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आइए जानते हैं इसका रोचक इतिहास और रहस्य विस्तार से... आपको बता दें कि जयगढ़ किला चील का टीला नामक पहाड़ी पर स्थित है। इसका निर्माण महाराजा स्वाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था, जो 1880 से 1922 तक राजस्थान के महाराजा थे। किले का निर्माण 18वीं शताब्दी की शुरुआत में किया गया था, जब आमेर के किले को दुश्मन के हमलों से बचाने के लिए बनाया गया था। इस किले में सबसे बड़ी पहिये वाली जयबाण तोप है जो दुनिया की सबसे बड़ी तोप है। कहा जाता है कि इस तोप का निर्माण भी इसी किले में किया गया था। हालाँकि, इसका उपयोग किसी भी युद्ध के दौरान नहीं किया गया था।
मुगल शासन के दौरान यह किला शासकों का किला था, जहां युद्ध में काम आने वाले ग्रंथ रखे जाते थे। इस किले को विजय किला के नाम से भी जाना जाता है। जिसकी संरचना और बनावट में आपको मध्यकालीन भारत की झलक मिलेगी। इसके अंदर बनी सुरंग आपको सीधे आमेर से जोड़ती है।
जयगढ़ किले का पानी का टैंक रहस्यमयी विशेषताओं से घिरा हुआ है। इस टैंक का आकार बहुत बड़ा है, जिसकी चर्चा शुरुआती सदियों से लेकर 20वीं सदी तक होती रही है। कई इतिहासकारों का मानना है कि इस किले में स्थित इस टैंक का इस्तेमाल महाराजा मान सिंह ने अपने खजाने को रखने के लिए किया था। इस टैंक के नीचे एक कक्ष है जिसमें महाराजा मान सिंह द्वारा अफगानिस्तान और भारत की विभिन्न रियासतों से लूटा गया खजाना छिपा हुआ था। हालाँकि, इसकी पुष्टि नहीं की गई है।