फिलहाल गलताजी में नहीं कर सकेंगे गंगास्नान, लगातार बारिश के बाद भी सूखा पानी, वीडियो में सामने आई ये बड़ी वजह

श्रद्धा भक्ति की नगरी जयपुर को भारत में छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है, यहां स्थित पवित्र गलता जी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था और श्रद्धा का एक बड़ा केंद्र है, जो अपनी कई मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। जयपुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित गलताजी मंदिर एक प्रागैतिहासिक.....
 

राजस्थान न्यूज डेस्क !!! श्रद्धा भक्ति की नगरी जयपुर को भारत में छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है, यहां स्थित पवित्र गलता जी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था और श्रद्धा का एक बड़ा केंद्र है, जो अपनी कई मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। जयपुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित गलताजी मंदिर एक प्रागैतिहासिक हिंदू तीर्थ स्थल है जो अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है।

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यह भव्य मंदिर ऐतिहासिक और धर्मिक दोनों रूपों में काफी महत्वपूर्ण है, जो प्राकृतिक रूप से झरने, पहाड़ियां, मंदिर, कुंड आदि को अपने अंदर समाये हुए है। जयपुर शहर स्थित गलता जी मंदिर हर वर्ष देश-विदेश के अनगिनत पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। तो चलिए आज के इस वीडियो में हम आपको करवाते हैं पवित्र गलता धाम के दर्शन

गलताजी मंदिर की शानदार गुलाबी बलुआ पत्थर की संरचना दीवान राव कृपाराम द्वारा बनाई गई थी, जो सवाई राजा जय सिंह द्वितीय के दरबारी थे। 16 वीं शताब्दी की शुरुआत से गलताजी रामानंदी संप्रदाय और जोगियों के लिए एक आश्रय स्थल रही है। गलता जी के इस मंदिर के लिए कहा जाता है कि संतगालव ने इस स्थान पर काफी लंबे समय तक भगवान की तपस्या की थी, जिससे कि भगवान ने प्रसन्न होकर ऋषि को आशीर्वाद दिया था और उसी ऋषि की भक्ति वंदना के लिए इस स्थान का निर्माण किया गया है, तथा इस मंदिर का नामकरण भी उन्ही ऋषि के नाम किया गया है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के खंड भी इसी जगह पर लिखे गए थे.

गलताजी मंदिर अरावली पहाड़ियों में स्थित है और घने पेड़ों और पहाड़ों से घिरा हुआ है। मंदिर की चित्रित दीवारें, गोल छत और स्तंब इसे बेहद ही आकर्षित बनाते हैं । इस मंदिर का निर्माण एक महल की तरह किया गया है और इस वजह से भी यह मंदिर अपनी अलग पहचान रखता है. यह पवित्र धाम किसी मंदिर की तरह ना दिख कर प्राचीन महल या हववलियों की तरह दिखता पड़ता है। यहां बहुत ज्यादा संख्या में बंदर पाए जाते हैं। यहां पर रहने वाले बंदर मंदिर के परिसर में ही घूमते रहते हैं, मगर वो कभी भी श्रद्धालुओं को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। आप यहां पर आकर बंदरों को खाना भी खिला सकते हैं, इन बंदरों की वजह से ये प्राचीन मंदिर काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।

गलता जी परिसर में स्थित श्री ज्ञान गोपाल जी मंदिर और श्री सीताराम जी मंदिर हवेली शैली में निर्मित हैं। श्री सीताराम जी मंदिर गलता जी के सभी मंदिरों में सबसे बड़ा है। लोगों की मान्यता के अनुसार सीताराम जी मंदिर में स्थित श्री राम गोपाल जी की मूर्ति भगवान राम और भगवान कृष्ण दोनों की तरह दिखती है। इस मूर्ति के पीछे किंवदंती है कि भगवान कृष्ण ने तुलसीदास जी को भगवान राम के रूप में दर्शन दिए थे और तुलसीदास ने जो देखा उसका ही इस मूर्ति में वर्णन किया है। गलता जी में स्थित हनुमान मंदिर अपनी अखंड ज्योति के लिए सारे देश में  प्रसिद्ध है, इसकी ज्योति पिछली कई सदियों से लगातार जल रही है। इनके अलावा गलता जी परिसर में कई छोटे मंदिर हैं जो गलता गेट से श्री सीताराम जी मंदिर तक फैले हुए हैं।

जयपुर के सबसे खास दर्शनीय स्थलों में से एक इस मंदिर के परिसर में प्राकृतिक ताजे पानी के झरने और सात पवित्र ‘कुंड’ हैं। इन सभी कुंडों में से गलता कुंड को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है, जो कभी नहीं सूखता है। हर साल मकर संक्रांति के त्योहार के खास मौके पर इस पवित्र कुंड में डुबकी लगाना बेहद शुभ माना जाता है। इसके साथ ही यहां स्थित गौमुख भी अपने शुद्ध और साफ बहते पानी के लिए काफी मशहूर है। गलताजी मंदिर में स्थित प्राकृतिक पानी के झरने भी विशेष धार्मिक महत्व रखते हैं और भक्तों के लिए काफी पूजनीय है। इस मंदिर के परिसर में पानी स्वचालित रूप से फैलता है और कुंडों में इकट्ठा हो जाता है। इस प्राकृतिक झरने की सबसे खास बात यह है कि इसका पानी कभी नहीं सूखता जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं को चकित करता है। 

पुरानी किंवदंतियों के अनुसार गलवाश्रम महात्मय की पवित्र लिपि में कहा गया है कि हिंदू महीने कार्तिक के दौरान पूर्णिमा के दिन, जिसे कार्तिक पूर्णिमा भी कहा जाता है, पर त्रिमूर्ति, ब्रह्मा, विष्णु और महेश गलता जी के दर्शन करने आते हैं। इसलिए इस दिन गलता कुंड में डुबकी लगाने से श्रद्धालुओं को कई गुना आशीर्वाद मिलता है। इसलिए हर कार्तिक पूर्णिमा पर गलता कुंड के दर्शन करने और डुबकी लगाने के लिए यहां भरी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार माना जाता है कि चार धाम और सप्तपुरियों की धार्मिक तीर्थ यात्रा पूरी करने के लिए हर किसी को एक बार पवित्र गलता कुंड में डुबकी लगानी पड़ती है। ऐसा नहीं करने पर भक्तों कि तीर्थयात्रा को अधूरा ही माना जाता है। 

गलता जी मंदिर की यात्रा आपको अक्टूबर से दिसंबर तथा फरवरी, मार्च के महीने में करनी चाहिए, जहां फरवरी-मार्च में आपको कम सर्दी देखने को मिलती है तो अक्टूबर, दिसंबर में सर्दी की शुरुआत होती है तथा बारिश कुछ ही महीने पहले खत्म होती है, जिससे चारों तरफ हरियाली छाई रहती है. इस मौसम में आपको ना तो ज्यादा सर्दी लगेगी और ना ही गर्मी का अनुभव होगा.  

गलताजी मंदिर खनिया-बालाजी शहर में स्थित है जो जयपुर से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है। जयपुर शहर की यात्रा आप हवाई जहाज, ट्रेन और बस परिवहन के सभी माध्यमों से कर सकते हैं। गलताजी मंदिर से सबसे निकटतम हवाई अड्डा सांगानेर हवाई अड्डा है जो गलताजी मंदिर से 10 किमी की दूरी पर स्थित है। ट्रेन से यहां पहुंचने के लिए सबसे करीबी रेलवे स्टेशन बाइस गोदाम है, जो यहां से 1 किमी दूर स्थित है। अगर आप सड़क मार्ग से जयपुर की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि देश के हर शहर से यहां के लिए नियमित बसें चलती है। आप हवाई अड्डे, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से ऑटो, कैब या सिटी बस से यहां पहुंच सकते हैं।