Noida भट्ठियां और ई-कचरा जला तो बिगड़ जाएंगे हालात
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क राष्ट्रीय स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में 10 लाख की आबादी वाले शहरों में देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब हासिल करने वाला मुरादाबाद शहर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में बने हवा के ह्यजहरीले जोनह्ण से डगमगा गया है. मुरादाबाद के भी वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने का खतरा बढ़ गया है. विशेषज्ञों ने सर्दी के मौसम में ढलाई की भट्ठियों और ई-कचरे को जलाने से निकलने वाले जहरीले धुएं की रोकथाम को लेकर सावधान किया है.
दो साल पहले राष्ट्रीय स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में मुरादाबाद दस लाख तक की आबादी वाले शहरों में देश का सबसे साफ शहर घोषित किया गया था. सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद काफी समय तक मुरादाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से कभी आदर्श तो कभी ठीक ठाक स्थिति में दर्ज किया गया. इस बार मानसून सीजन के दौरान शहर का एक्यूआई स्वास्थ्य की दृष्टि से सबसे अच्छे माने जाने वाले वायु प्रदूषण के ग्रीन जोन में बना रहा, लेकिन सर्दी के मौसम की दस्तक होते ही हवा की गुणवत्ता बिगड़ना शुरू हो गई. दशहरे से पहले मुरादाबाद वायु प्रदूषण के ऑरेंज जोन तक पहुंच गया जो कि स्वास्थ्य के लिए खराब है. दीवाली के बाद पटाखों के धुएं से मुरादाबाद की हवा जहरीली हुई तो शहर वायु प्रदूषण के खतरनाक लाल घेरे यानी रेड जोन में आ गया. एनसीआर के कई शहरों की तुलना में मुरादाबाद की हवा ज्यादा जहरीली दर्ज की गई. पिछले दस दिनों से दिल्ली समेत एनसीआर के कई शहर खतरनाक वायु प्रदूषण की गिरफ्त में हैं. एक्यूआई चार सौ से अधिक दर्ज होने के चलते वायु प्रदूषण का सबसे खतरनाक मरून जोन बना हुआ है. तब से मुरादाबाद में कभी वायु प्रदूषण के यलो जोन और कभी ऑरेंज जोन की स्थिति देखी जा रही है.
दिशा भी कर सकती है जहरीली हवा के हालात: विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले एक हफ्ते से दिल्ली समेत एनसीआर के कई शहरों में वायु प्रदूषण के हालात बेकाबू होने के बावजूद मुरादाबाद की स्थिति लगभग ठीक ठाक बनी रही तो इसका एक कारण हवा की दिशा भी हो सकती है. इन दिनों हवा पश्चिम दिशा से चल रही है. हवा का रुख एकदम दिल्ली की तरफ से होने पर मुरादाबाद में भी जहरीली हवा का असर बढ़ सकता है. पर्यावरणविद् डॉ.अनामिका त्रिपाठी का कहना है कि मुरादाबाद में वायु प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक पहुंचने से बचाने के लिए ई-कचरा जलाने और कोयले से जलने वाली भट्ठियों के संचालन पर अंकुश लगाना जरूरी है. सर्दी के मौसम में तापमान कम होने की वजह से हवा तेजी से ऊपर की तरफ नहीं उठती, जिसके चलते जहरीले प्रदूषित कण देर तक जमीन पर ही बने रहते हैं, जिसके चलते एक्यूआई बढ़ जाता है.
नोएडा न्यूज़ डेस्क