विनायक चतुर्थी पर चंद्र अर्घ्य के बाद करें ये आरती, घर आएगी रिद्धि सिद्धि

विनायक चतुर्थी पर चंद्र अर्घ्य के बाद करें ये आरती, घर आएगी रिद्धि सिद्धि
 
विनायक चतुर्थी पर चंद्र अर्घ्य के बाद करें ये आरती, घर आएगी रिद्धि सिद्धि

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन विनायक चतुर्थी को खास माना गया है जो कि माह में दो बार आता है एक शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस दौरान भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना का विधान होता है मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन गणपति की विधिवत पूजा करने से जीवन के दुखों का नाश हो जाता है और सुख समृद्धि आती है

विनायक चतुर्थी पर चंद्र अर्घ्य के बाद करें ये आरती, घर आएगी रिद्धि सिद्धि

इस बार यह व्रत 10 जून दिन सोमवार यानी आज रखा जा रहा है। इस दिन भगवान श्री गणेश की भक्ति भाव से आराधना करने से सभी कार्यों में सफलता हासिल होती हैं और बाधाएं दूर हो जाती है इसके साथ ही अगर आज शाम को चंद्र अर्घ्य के बाद श्री गणेश की आरती और स्तोत्र का पाठ किया जाए तो घर में सदा रिद्धि सिद्धि का वास होता है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान की आरती। 

विनायक चतुर्थी पर चंद्र अर्घ्य के बाद करें ये आरती, घर आएगी रिद्धि सिद्धि

।।गणेश स्तोत्र।।

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।

भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥॥

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।

तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥॥

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।

सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥॥

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥॥

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।

संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥॥

॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

विनायक चतुर्थी पर चंद्र अर्घ्य के बाद करें ये आरती, घर आएगी रिद्धि सिद्धि

॥श्री गणेश जी की आरती॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

विनायक चतुर्थी पर चंद्र अर्घ्य के बाद करें ये आरती, घर आएगी रिद्धि सिद्धि