Pradosh Vrat 2024 शादी में आने वाली अड़चनों से न हों परेशान, भाद्रपद माह के पहले प्रदोष पर करें ये आसान उपाय

Pradosh Vrat 2024 शादी में आने वाली अड़चनों से न हों परेशान, भाद्रपद माह के पहले प्रदोष पर करें ये आसान उपाय
 
Pradosh Vrat 2024 शादी में आने वाली अड़चनों से न हों परेशान, भाद्रपद माह के पहले प्रदोष पर करें ये आसान उपाय

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार पड़ता है। यह तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा और व्रत का विधान होता है।

Pradosh Vrat 2024 शादी में आने वाली अड़चनों से न हों परेशान, भाद्रपद माह के पहले प्रदोष पर करें ये आसान उपाय

मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन पूजा पाठ और व्रत करने से कल्याण का आशीर्वाद मिलता है पंचांग के अनुसार अभी भाद्रपद माह चल रहा है और इस माह का पहला प्रदोष व्रत 31 अगस्त दिन शनिवार को रखा जाएगा। ऐसे में अगर इस दिन भगवान शिव की पूजा के समय उनकी प्रिय चालीसा का पाठ श्रद्धा भाव से किया जाए तो शीघ्र विवाह के योग बनते हैं और शादी में आने वाली अड़चने दूर हो जाती है साथ ही सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। 

Pradosh Vrat 2024 शादी में आने वाली अड़चनों से न हों परेशान, भाद्रपद माह के पहले प्रदोष पर करें ये आसान उपाय

यहां पढ़ें शिव चालीसा पाठ—

||दोहा||

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

चौपाई

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥

मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥

Pradosh Vrat 2024 शादी में आने वाली अड़चनों से न हों परेशान, भाद्रपद माह के पहले प्रदोष पर करें ये आसान उपाय

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥

मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

|| दोहा ||

बहन करौ तुम शीलवश, निज जनकौ सब भार।

गनौ न अघ, अघ-जाति कछु, सब विधि करो सँभार

तुम्हरो शील स्वभाव लखि, जो न शरण तव होय।

तेहि सम कुटिल कुबुद्धि जन, नहिं कुभाग्य जन कोय

दीन-हीन अति मलिन मति, मैं अघ-ओघ अपार।

कृपा-अनल प्रगटौ तुरत, करो पाप सब छार॥

कृपा सुधा बरसाय पुनि, शीतल करो पवित्र।

राखो पदकमलनि सदा, हे कुपात्र के मित्र॥

।। इति श्री शिव चालीसा समाप्त ।।

Pradosh Vrat 2024 शादी में आने वाली अड़चनों से न हों परेशान, भाद्रपद माह के पहले प्रदोष पर करें ये आसान उपाय