Munger शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं होती है टीबी की जांच

Munger शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं होती है टीबी की जांच
 
Munger शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं होती है टीबी की जांच 

बिहार न्यूज़ डेस्क जिला में टीबी के मरीज के जांच के प्रति स्वास्थ्य प्रशासन उदासीन है. शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सहित जिला के चौदह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी के मरीजों की जांच नहीं हो रही है. जबकि वर्ष 2025 में जिला से टीबी बीमारी के उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार ने टारगेट दे रखा है. इस बात का खुलासा राज्य स्तर पर हुए समीक्षा के दौरान हुआ है. जिले में तीन शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शहर के छतौनी, बरियारपुर व रक्सौल में है.
जिले में आठ हजार हैं टीबी के मरीज बताया जाता है कि जिला में फिलहाल करीब आठ हजार टीबी के मरीज हैं. जिसमें करीब चार सौ एम डी आर के मरीज हैं. जिनको दवा तो मिल रही है मगर हर तीन महीने पर होने वाली जांच भी नहीं होने से मरीज को निजी लैब में जांच करवाना पड़ता है. इसके अलो मरीज को भी जिला टीबी जांच की सुविधा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सहित कई स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं होने से परेशानी बनी हुई है.


टीबी के मरीजों की खोज में बरती जा रही उदासीनता
टीबी मरीज की खोज के लिए प्रखंड स्तर पर एनजीओ टीम के साथ साथ सरकारी व्यवस्था भी है. मगर स्थिति कुछ और है. न तो टीबी से बचाव के लिए प्रचार प्रसार होता है न ही टीबी मरीज की गांव स्तर पर खोज ही होती है. बस कागज में ही सब अभियान चलता है. सूत्रों के अनुसार टीबी मरीज को दवा का किट घर तक पहुंचाने का जिम्मा विभाग का है. घर-घर मरीज की खोज करना विभाग की जवाबदेही है. इसमें सहयोग आशा कार्यकर्ता से लेने का निर्देश है. मगर पहले से आशा का बकाया राशि का भुगतान नहीं होने से उन्हें इसमें पूरी रुची नहीं रही.
निजी डॉक्टरों को भी टीबी अस्पताल से जोड़ा गया है
बताते हैं कि केंद्र की सरकार टीबी उन्मूलन के मुफ्त इलाज से लेकर दवा व जांच की सुविधा दे रखा है. निजी डॉक्टर को भी टीबी के मरीज का मुफ्त इलाज करने के लिए टीबी हॉस्पिटल से जोड़ा है. मगर विभागीय उदासीनता के कारण आज भी टीबी मरीज की संख्या में कमी नहीं है. निजी डॉक्टरों के यहां बहुत सारे टीबी मरीज इलाज के बाद ठीक हुए है. अन्यथा जो सरकारी जांच की व्यवस्था है उसमे तो टीबी उन्मूलन अभियान कहां तक सफल होता यह तो बड़ा प्रश्न है.
तीन साल में देखे गये 10 हजार मरीज
राज्य सरकार ने इस बात पर भी नाराजगी जतायी है कि शहरी प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्रों पर टीबी के मरीज की जांच नहीं करने के अलावे टारगेट के अनुसार आउट डोर में मरीज भी नहीं देखा जा रहा है. तीन साल में मात्र दस हजार मरीज देखे गए हैं जबकि 50 हजार तीन साल में देखना था. इस बात को लेकर स्वस्थ समिति ने सीएस को निर्देश जारी कर सुधार लाने का निर्देश दिया है

मुंगेर न्यूज़ डेस्क