Madhubani शहर में नहीं बना एक भी सामुदायिक शौचालय, नगर निगम के गठन के बाद चौथे स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए जरूरी प्रमाणीकरण पर खड़ा हो गया विवाद
बिहार न्यूज़ डेस्क नगर निगम गठन के बाद चौथे स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए जरूरी प्रमाणीकरण पर विवाद खड़ा हो गया है. वार्ड एक, 30 व 38 से आप्त्तित दर्ज कराई गयी है. लगभग अन्य एक दर्जन लोगों ने अपने वार्ड सहित पूरे शहर का उल्लेख करते हुए ओडीएफ प्रमाणीकरण पर सवाल उठाया है. दिये गये आवेदन में इन्होंने बिना इसके काम किये ही प्रमाणीकरण का दावा करने की बात कही है. उल्लेखनीय है कि ओडीएफ की घोषणा पर पहले के सालों में भी वार्ड पार्षदों और आमलोगों के द्वारा आपत्ति दर्ज कराया गया था.
वार्ड पार्षदों ने तो अपने हस्ताक्षर फर्जी कर प्रमाणीकरण के लिए दावा किये जाने की बात कही थी. एक बार फिर से यह मामला तुल पकड़ने लगा है. इस बार के स्वच्छता सर्वेक्षण में 2500 अंक ओडीएफ (ओपन डेफिकेशन फ्री), और जीएफसी (गार्बेज फ्री सिटी) इत्यादि के सर्टीफिकेशन के लिए निर्धारित किया गया है. दोनों ही मामले में मधुबनी निगम की हालत काफी खराब है. कचरा मुक्त शहर की बजाए विभिन्न स्थानों पर कचरा लगातार डंप रहता है. वहीं इस अभियान से आमलोगों के नहीं जुड़ पाने के कारण हालत गंभीर बनी हुई है.
पिछले छह सालों में नहीं हुई कोई प्रगति : शौचालय और सामुदायिक शौचालय निर्माण के मसले पर काफी पीछे हैं. चार हजार से अधिक शौचालय के लाभुकों को छह साल बाद भी दूसरी किस्त की राशि नहीं मिली है. वहीं निगम के द्वारा अब तक एक भी सामुदायिक शौचालय नहीं बनाया जा सका है. एकमात्र शौचालय करीब छह साल पहले सदर अस्पताल में बनाया गया. इसके बाद से पूरे शहर में एक भी शौचालय नहीं बनाया जा सका है. यही हालत व्यक्तिगत शौचालय मद की भी है. छह साल पहले जिन लाभुकों को राशि मिली उसके बाद से एक भी लाभुक का न तो चयन किया गया और न ही राशि का भुगतान किया गया. यह निगम के लिए चिंताजनक हालत को रेखांकित करता है. जाहिर है इन सभी तथ्यों का सीधा असर स्वच्छता सर्वेक्षण पर होना तय है.
मधुबनी न्यूज़ डेस्क