आयकर में छूट के बाद क्या ब्याज दर में भी मिल सकती हैं छूट,जाने क्या है सरकार का प्लान

बिज़नस न्यूज़ डेस्क,बजट के बाद अब सब की निगाहें 7 फरवरी को भारतीय रिजर्व बैंक की ब्याज दरों के लेकर होने वाली घोषणाओं पर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में 5-7 फरवरी तक होने वाली नई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में ब्याज दरों में कटौती की संभावना जताई जा रही है। आइए जानते हैं एमपीसी का फैसला कब आएगा और इससे जुड़ी सारी जानकारी।
आरबीआई से 0.25 फीसदी कटौती की उम्मीद
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक बुधवार 5 फरवरी से शुरू होगी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस हफ्ते प्रमुख ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चूंकि रिटेल इनफ्लेशन साल के ज्यादातर समय में रिजर्व बैंक द्वारा तय दायरे (2-6 फीसदी) के भीतर रही है, इसलिए केंद्रीय बैंक सुस्त खपत से प्रभावित ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दर में कटौती को लेकर कदम उठा सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) शुक्रवार 7 फरवरी को नई मौद्रिक नीति पेश करेगा। एमपीसी से लगभग पांच वर्षों में पहली बार ब्याज दरों में कटौती किए जाने की उम्मीद है। आरबीआई की नवगठित मौद्रिक नीति समिति की बैठक में दरों में कटौती पर फैसला हो सकता है।
कटौती का लोगों को बेसब्री से इंतजार
जानकारों के मुताबिक, बाजार ब्याज दरों में संभावित कटौती का बेसब्री से इंतजार कर कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में 25 से 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का अनुमान लगाया गया है। अगर ऐसा होता है तो बेंचमार्क उधारी दर यानी रेपो रेट मौजूदा 6.5 प्रतिशत से घटकर 6.25 प्रतिशत हो जाएगी। नए गवर्नर संजय मल्होत्रा दिसंबर 2024 में पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पहली बार एमपीसी की बैठक में शामिल होंगे। एमपीसी की पिछली बैठक यानी दिसंबर 2024 में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का फैसला लिया गया था
पांच साल बाद होगी ब्याज दरों में कटौती
ऐसा माना जा रहा है कि आरबीआई द्वारा पांच साल बाद ब्याज दरों में कटौती करके आम आदमी को बड़ी राहत दी जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो सभी प्रकार के लोन की ईएमआई कम हो जाएगी। 7 फरवरी को मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक होने वाली है। इस बैठक को लेकर अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि आरबीआई द्वारा धीमी जीडीपी ग्रोथ को गति देने के लिए मौद्रिक पॉलिसी में रेपो रेट में कटौती का ऐलान किया जा सकता है। यह भी माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक के द्वारा रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कमी की जा सकती है। यदि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करती है तो यह पांच साल बाद होने वाली कटौती होगी। क्योंकि इसके पहले साल 2020 में आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती की थी।
विशेषज्ञों को उम्मीद- खपत और मांग को बढ़ावा देने के हो सकते हैं उपाय
विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय दरों में कटौती होती है तो भारत में खपत और मांग को बढ़ावा मिलेगा। बजट में 12 लाख रुपये या उससे कम आय वाले करदाताओं को आयकर से छूट दिए जाने से इस समय दरों में कटौती से खपत मांग को भावनात्मक रूप से बढ़ावा देने में मदद करेगी। वहीं, दूसरी और बाजार के जानकारों का कहना है कि औद्योगिकी और सेवा क्षेत्र के आंकड़े अच्छे आए हैं। जबकि, अमेरिका और चीन में टैरिफ युद्ध की वजह से रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर बना हुआ है। हो सकता है यह दरों में कटौती अप्रैल या फिर जून तक टल सकती है। वहीं, दूसरी और आरबीआई ने बैंकिंग सिस्टम में 1.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी डालने की घोषणा की थी और रिजर्व बैंक छह महीने की अवधि के लिए 5 अरब डॉलर की डॉलर-रुपया खरीद व बिक्री स्वैप की नीलामी भी करेगा।
क्या कम होगी आपकी EMI?
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर RBI रेपो दर में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करता है और इसे उम्मीद के मुताबिक 6.25 फीसदी पर लाता है, तो रेपो दर से जुड़ी बाहरी बेंचमार्क उधार दरों (EBLR) में 25 बेसिस प्वाइंट की कमी आएगी। इससे कर्जदाताओं को बहुत जरूरी राहत मिल सकती है क्योंकि उनकी समान मासिक किस्तों (EMI) में मामूली कमी आ सकती है। अगर मीडिया रिपोर्टों पर विश्वास किया जाए तो RBI वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपेक्षित जीडीपी विकास दर की भी घोषणा कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि खुदरा महंगाई साल के ज्यादातर समय में रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे (दो से छह प्रतिशत) के भीतर रही है, इसलिए केंद्रीय बैंक सुस्त खपत से प्रभावित वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत दर में कटौती को लेकर कदम उठा सकता है।