वेदांता कर रहा कर्ज से छुटकारे की जुगाड़ या भविष्य की तैयारी,जाने क्या है कंपनी का पूरा प्लान

वेदांता कर रहा कर्ज से छुटकारे की जुगाड़ या भविष्य की तैयारी,जाने क्या है कंपनी का पूरा प्लान
 
वेदांता कर रहा कर्ज से छुटकारे की जुगाड़ या भविष्य की तैयारी,जाने क्या है कंपनी का पूरा प्लान

बिज़नस न्यूज़ डेस्क, जब अरबपति उद्योगपति अनिल अग्रवाल ने 1970 के दशक में स्क्रैप व्यवसाय शुरू किया, तो उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि एक दिन वह दुनिया की सबसे बड़ी खनन कंपनियों में से एक के मालिक होंगे। खैर, आज वह वेदांता ग्रुप के मालिक हैं, जो अब खनन की दुनिया से अलग अपने भविष्य को नए तरीके से आकार देने की लगातार कोशिश कर रहा है। लेकिन क्या यह सिर्फ अपना भविष्य बदलने की तैयारी है या अपने ऊपर चढ़े कर्ज के बोझ से निपटने की योजना है?वेदांता ग्रुप पर कुल 13 अरब डॉलर का कर्ज है, जिसे कंपनी ने 2026-27 तक घटाकर 9 अरब डॉलर करने की योजना बनाई है। इसमें से वेदांता ग्रुप की मूल कंपनी वेदांता रिसोर्सेज ने पिछले दो साल में अपनी बैलेंस शीट से करीब 3.5 अरब डॉलर का बोझ कम कर लिया है, जिससे उसका कुल बकाया कर्ज अब 6 अरब डॉलर पर आ गया है. ऐसे में क्या कंपनी की भविष्य की योजनाएं उसके कर्ज के बोझ को कम कर पाएंगी?

वेदांता की भविष्य की योजना
वेदांता समूह दो साल पहले तब सुर्खियों में आया था जब उसने भारत में देश का पहला सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करने की पेशकश की थी। वह ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन के साथ मिलकर इस प्लांट में 20 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बना रही थी, लेकिन कंपनी की कर्ज की हालत को देखते हुए फॉक्सकॉन ने इस डील से अपने हाथ खींच लिए। हालांकि, वेदांता अभी भी नए पार्टनर की तलाश में है।

एवनस्ट्रेट कैसे काम करता है?
एवनस्ट्रेट पतली फिल्म ट्रांजिस्टर, एलसीडी और डिस्प्ले में उपयोग किए जाने वाले ग्लास सब्सट्रेट बनाती है। वेदांता ग्रुप ने अपनी की इंडिया होल्डिंग्स के जरिए इसमें निवेश किया है। ग्लास सब्सट्रेट का उपयोग टेलीविजन से लेकर लैपटॉप, स्मार्टफोन, टैबलेट और वियरेबल्स तक हर चीज में किया जाता है।एवनस्ट्रैट के पास 700 से अधिक पेटेंट हैं। कंपनी कोरिया और ताइवान में उत्पादन करती है। फिलहाल दुनिया में डिस्प्ले पैनल का बाजार करीब 7 अरब डॉलर का है, जो 2025 तक बढ़कर 15 अरब डॉलर का हो जाएगा। भारत अभी 100 फीसदी डिस्प्ले आयात करता है, इसलिए भविष्य में कंपनी इसी के जरिए जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ा कारोबार खड़ा कर सकती है।