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विश्व के सबसे मशहूर दार्शनिक और आध्यात्मिक शिक्षकों में से एक गुरजिएफ दुनियाभर में अपनी शिक्षाओं के लिए जाने जाते हैं। गुरजिएफ एक ऐसा नाम है जो अब आध्यात्मिक खोज और मानवीय विकास का पर्याय बन गया है। उनके सिद्धांत और विचार आज भी दुनिया भर में आत्म-विकास और जागरूकता के प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं। तो आईये आज के इस वीडियो में हम गुरजिएफ के रहस्य्मयी जीवन, अद्वितीय शिक्षाओं और उनके विचारों की गहराइयों में उतरें
गुरजिएफ का जन्म तेरह जनवरी अठारह सौ छियासठ को रूस के अलीस्सा नामक एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता इवान गुरजिएफ एक संगीतकार थे और उनकी माँ एलिजाबेथ एक धार्मिक महिला थीं। यह परिवार एक सांस्कृतिक दृष्टिकोण से समृद्ध था, जिसमें कला और संगीत को महत्व दिया जाता था। लेकिन जब गुरजिएफ केवल नौ साल के थे, तब उनकी माँ का निधन हो गया और ग्यारह साल की उम्र में उनके पिता भी चल बसे। इस अप्रत्याशित दुख ने गुरजिएफ को एक आंतरिक संकट में डाल दिया और जीवन के गहरे रहस्यों की खोज का मार्ग प्रशस्त किया। बचपन के इन दुखों ने गुरजिएफ को जीवन के प्रति एक गहरी जिज्ञासा से भर दिया। वह यह जानने के लिए तैयार थे कि वास्तविकता क्या है, और क्यों यह संसार ऐसे चलता है जैसे वह चलता है। और क्या इस जीवन के पीछे कोई गहरा उद्देश्य है? यही सवाल उनके मन में सबसे पहले आया, और यही सवाल जीवनभर उन्हें इस रहस्य को तलाशते रहने की प्रेरणा देता रहा।
गुरजिएफ की आध्यात्मिक यात्रा उन्हें रूस से बाहर, मध्य एशिया, भारत, पाकिस्तान, चीन, तिब्बत, ईरान और फारस जैसे देशों में ले गई। उन्होंने इन स्थानों पर जाकर न केवल धर्म और दर्शन की गहरी समझ प्राप्त की, बल्कि उन प्राचीन आध्यात्मिक पद्धतियों को भी सीखा जो पश्चिमी दुनिया से बहुत दूर थीं। गुरजिएफ ने सहस्त्राब्दियों पुरानी तंत्र विद्या, बौद्ध ध्यान विधियों, और इस्लामिक रहस्यवाद का अध्ययन किया। उन्होंने देखा कि सभी धर्मों और आध्यात्मिक पद्धतियों का एक साझा उद्देश्य आत्मा की उन्नति और व्यक्ति को आंतरिक ज्ञान की प्राप्ति था। उन्होंने महसूस किया कि सच्चा ज्ञान केवल बाहरी संसार से नहीं, बल्कि अंदर से आता है। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि इस यात्रा ने उन्हें एक गहरी आध्यात्मिक साक्षात्कार की ओर मार्गदर्शित किया।
गुरजिएफ की यात्रा केवल एशिया और यूरोप तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन की भी यात्राएँ की, जहाँ उन्होंने पश्चिमी दुनिया में अपनी शिक्षाओं का प्रसार किया। गुरजिएफ ने अमेरिका के न्यूयॉर्क और बोस्टन जैसे शहरों में शिष्य बनाए और अपने चतुर्थ मार्ग के सिद्धांतों को प्रस्तुत किया। यह वह समय था जब पश्चिमी दुनिया में उनकी शिक्षाओं को लेकर गहरी रुचि दिखाई देने लगी थी । ब्रिटेन में उन्होंने अपने शिष्यों से मिलने के अलावा, वेस्टमिन्स्टर और लंदन जैसे स्थानों पर अपने विचारों को साझा किया। यहाँ पर उन्होंने दिखाया कि पश्चिमी दुनिया में भी लोग आंतरिक जागरूकता और ध्यान के महत्व को समझने लगे थे। यह उनकी वैश्विक यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिससे उनका प्रभाव पूरी दुनिया में फैलने लगा।
गुरजिएफ ने अपने अनुभवों से एक विशिष्ट आध्यात्मिक पद्धति बनाई, जिसे वे 'चतुर्थ मार्ग' कहते थे। इस मार्ग का मुख्य उद्देश्य शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक पहलुओं को एक साथ जोड़ना था। वे मानते थे कि आत्मज्ञान केवल ध्यान या मानसिक अभ्यास से नहीं मिलता, बल्कि ये शारीरिक क्रियाओं और आंतरिक संतुलन से ही संभव होता है। इस सिद्धांत के माध्यम से गुरजिएफ ने अपने शिष्यों को सिखाया कि वे केवल साधना या ध्यान में खोने की जगह जीवन के हर पहलू पर समान रूप से काम करें। उनका यह विश्वास था कि केवल बाहरी दुनिया में अपने आप को खो देने से आत्मज्ञान की प्राप्ति नहीं होती, बल्कि इसके लिए हमें अपनी पूरी चेतना और शरीर के साथ कार्य भी करना होता है।
गुरजिएफ केवल एक शिक्षक ही नहीं, बल्कि एक कुशल संगीतकार और नर्तक भी थे। उन्होंने अपने शिष्यों को नृत्य और संगीत के माध्यम से अपनी आध्यात्मिक पद्धतियों को सिखाया। उनके 'गुरजिएफ डांस' का अभ्यास शारीरिक गतिविधियों के साथ ध्यान और आत्मज्ञान की दिशा में एक गहरा रास्ता था। यह नृत्य केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं था, बल्कि यह एक साधना का रूप था, जिसमें शरीर, मन, और आत्मा को एक साथ जागृत करने का प्रयास किया जाता था। गुरजिएफ का मानना था कि शारीरिक आंदोलन के माध्यम से व्यक्ति अपनी आंतरिक ऊर्जा को जागृत कर सकता है और आत्मज्ञान की ओर अग्रसर हो सकता है। उनका संगीत भी ध्यान और साधना का एक रूप था, जो उनके शिष्यों को मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धता की ओर ले जाता था।
गुरजिएफ ने अपनी विचारधारा और आध्यात्मिक अनुभवों को किताबों के रूप में भी प्रस्तुत किया। उनकी दो प्रमुख किताबें, 'Meetings with Remarkable Men' और 'Beelzebub's Tales to His Grandson', आज भी विश्वभर में अध्ययन की जाती हैं। 'Meetings with Remarkable Men' एक आत्मकथात्मक किताब है, जिसमें गुरजिएफ ने अपनी यात्रा के दौरान मिले विभिन्न महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों के बारे में लिखा। यह किताब न केवल उनके जीवन की घटनाओं का वर्णन करती है, बल्कि उनके आध्यात्मिक अनुभवों और संघर्षों को भी साझा करती है। वहीं, 'Beelzebub's Tales' को एक जटिल और गहरे दर्शन का कार्य माना जाता है। यह किताब आधुनिक समाज की जटिलताओं पर विचार करती है और गुरजिएफ ने इसे एक महाकाव्य की तरह लिखा है, जिसमें दार्शनिक विचारों को अभिव्यक्त किया गया है। गुरजिएफ ने इस किताब के माध्यम से मानवता के वर्तमान संकट और आध्यात्मिक जागरूकता की आवश्यकता पर गहरी टिप्पणी की है।
अपने समय के सबसे बडे दार्शनिक और अध्यात्मिक शिक्षक गुरजिएफ का जीवन सिर्फ आध्यात्मिक साधना तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उनके व्यक्तिगत जीवन में भी कई दिलचस्प घटनाएं घटी थी। अपनी यात्राओं से वापस लौटने के बाद साल उन्नीस सौ बारह में गुरजिएफ ने सेंट पीटर्सबर्ग में पोलिश नागरिक जूलिया ओस्ट्रोवस्का के साथ शादी की थी। जूलिया के साथ गुरजिएफ का रिश्ता सिर्फ व्यक्तिगत नहीं था, बल्कि वह उनके आध्यात्मिक अभ्यासों की समर्थक भी बनीं। गुरजिएफ की शादी उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाती हैं, जिसमे आध्यात्मिक साधना के साथ-साथ उनके व्यक्तिगत रिश्तों का भी उनके जीवन में एक बड़ा स्थान था। गुरजिएफ का मानना था कि उनके जीवन का उद्देश्य केवल आध्यात्मिक विकास है, और इस उद्देश्य के लिए उन्हें इसे अपने परिवार से भी ज्यादा प्राथमिकता देनी पडती है।
गुरजिएफ का जीवन संघर्षों से भरा था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने दुनिया भर के आध्यात्मिक और दार्शनिक विचारों को चुनौती दी और अपने सिद्धांतों के माध्यम से एक नई दिशा दिखाई। उनका संघर्ष यह था कि वह स्वयं को और दूसरों को उस गहरी सच्चाई से परिचित कराना चाहते थे, जिसे हम आज भी खोज रहे हैं। गुरजिएफ का योगदान केवल उनकी शिक्षाओं तक सीमित नहीं था। गुरजिएफ आज भी उनके शिष्यों, लेखों और पुस्तकों से हमारे जीवन को जागरूकता और गहरे आत्मिक ज्ञान की दिशा दिखा रहे हैं । उनका जीवन और उनकी शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि आध्यात्मिकता केवल एक रास्ता नहीं है, बल्कि यह एक पूर्ण जीवन है, जिसमें हर पहलू की समझ आवश्यक है।
गुरजिएफ का निधन उनतीस अक्टूबर उन्नीस सौ उनचास को पेरिस में हुआ। उनके शारीरिक अस्तित्व के समाप्त होने के बावजूद उनकी शिक्षाएँ और सिद्धांत आज भी जीवित हैं। उनका जीवन एक प्रेरणा था और उनकी शिक्षाओं ने लाखों लोगों के जीवन में गहरी छाप छोड़ी। उनकी शिक्षाओं को आज भी उनके शिष्य और उन लोगों द्वारा फैलाया जा रहा है, जो जीवन के गहरे उद्देश्य को समझने की कोशिश कर रहे हैं। गुरजिएफ का जीवन यह सिखाता है कि आत्मज्ञान केवल विचारों से नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू पर काम करने से प्राप्त होता है। उनके सिद्धांत आज भी दुनिया भर में लोगों के मानसिक और आत्मिक विकास के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
तो दोस्तों यह था गुरजिएफ का जीवन, जो हमें यह सिखाता है कि जीवन का उद्देश्य केवल बाहरी दुनिया से नहीं, बल्कि अपने भीतर से जुड़ा है। अगर आपको यह वीडियो पसंद आया हो, तो कृपया लाइक और सब्सक्राइब करें, अगर आप भी गुरजिएफ की शिक्षा और विचारों को ओर जानना या अपनाना चाहते हैं तो इंतजार करें हम जल्द ही गुरजिएफ की शिक्षाओं का एक नया वीडियो रिलीज करेंगें।