अरबों के कोयला घोटाले का दावा! सांसद ने कोयला मंत्रालय की नीतियों पर उठाए सवाल, बोले जिंदल समूह को हो रहा फायदा

बाड़मेर न्यूज़ डेस्क - सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने बाड़मेर में कोयला (लिग्नाइट) खनन के संबंध में कोयला मंत्रालय द्वारा संसद में दी गई जानकारी पर गंभीर सवाल उठाए हैं। लोकसभा में मंत्रालय ने अधिकारियों के माध्यम से दावा किया कि बाड़मेर में कोयला खनन नहीं हो रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि बाड़मेर में लिग्नाइट खदानों से लंबे समय से खनन हो रहा है।सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने कहा कि कोयला मंत्रालय ने लोकसभा सदन में जानकारी दी है कि बाड़मेर में कोयला खनन नहीं हो रहा है, जबकि वास्तविकता में वहां लिग्नाइट खनन होता है, यह गंभीर मामला है। गलत जानकारी प्रशासनिक लापरवाही है। सच्चाई को छिपाने का प्रयास किया गया है, इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
लोकसभा सदन में कोयला मंत्रालय ने अधिकारियों के माध्यम से बाड़मेर में कोयला खनन नहीं होने की झूठी जानकारी दी, जहां लिग्नाइट कोयला खनन खदानों में खनन होता है, फिर भी कोयला खनन नहीं होने की जानकारी सरासर झूठी है। बेनीवाल ने कहा कि बाड़मेर की लिग्नाइट खदानों से निकलने वाला कोयला विभिन्न औद्योगिक एवं ऊर्जा उत्पादक इकाइयों के लिए महत्वपूर्ण स्त्रोत है। ऐसे में देश की संसद में जानबूझकर ऐसा किया गया है। सरकार को तुरंत संज्ञान लेकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। इस तरह की झूठी एवं भ्रामक जानकारी पेश करना न केवल संसद की गरिमा का उल्लंघन है, बल्कि सांसद के विशेषाधिकारों का भी हनन है। यह मामला लोकतांत्रिक पारदर्शिता, जवाबदेही एवं नीति निर्धारण को प्रभावित करता है।
लोगों को गुमराह करने के लिए गलत जवाब दिए जा रहे हैं
बेनीवाल ने कहा- ऐसे जनप्रतिनिधियों को गुमराह करने के साथ ही स्थानीय लोगों एवं खनन उद्योग पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे केंद्र एवं राज्य सरकार को राजस्व की हानि भी हो रही है। यह अरबों रुपए का बहुत बड़ा घोटाला है। बेनीवाल ने कहा कि सरकार को इस गलत जानकारी पर तुरंत स्पष्टीकरण देना चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। सरकार को उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कर बाड़मेर में हो रहे लिग्नाइट खनन के वास्तविक आंकड़े सार्वजनिक करने चाहिए।
सांसद बेनीवाल ने कोयला खदानों के आवंटन पर उठाए सवाल
सांसद उम्मेदराम बेनीवाल ने बाड़मेर में लिग्नाइट कोयला खनन को लेकर संसद में सवाल उठाया है, जिसमें उन्होंने पूछा है कि राजवेस्ट पावर लिमिटेड और जेएसडब्ल्यू ग्रुप को थर्मल प्लांट चलाने के लिए दो खदानों, जलियापा और कपूरडी में अपनी जरूरत से ज्यादा कोयला खनन की अनुमति क्यों दी गई है। अगर उन्हें 30 साल तक थर्मल प्लांट चलाने के लिए 300 मिलियन मीट्रिक टन लिग्नाइट कोयला खनन की जरूरत है, तो उन्हें 500 मीट्रिक टन की दो खदानें, कपूरडी और जलियापा क्यों आवंटित की गईं, जबकि जलियापा में एक खदान ही काफी है।
बेनीवाल ने कहा- सरकारी गिरल थर्मल प्लांट नौ साल से घाटे में बंद और जंग खा रहा है, जिंदल ग्रुप को आवंटित खदान से कोयला दिया जाए
सांसद उम्मेदराम बेनीवाल ने कहा कि जिंदल ग्रुप को आवश्यकता से अधिक कोयला खदानें आवंटित की गई हैं। इसका मुख्य कारण गिरल खदान से निकाले जाने वाले लिग्नाइट कोयले में सल्फर की मात्रा अधिक होना है। जिसके कारण उपयुक्त गुणवत्ता वाला कोयला न मिलने से सरकारी प्लांट 2016 से पिछले नौ साल से घाटे में बंद और जंग खा रहा है। इसका घाटा करीब 2500 करोड़ तक पहुंच गया है और इस प्लांट के बंद होने से बिजली उत्पादन में भी तकनीकी दिक्कतें आ गई हैं।
सांसद ने सरकार पर लगाया आरोप
प्रशासनिक अधिकारियों और सरकार की मंशा सिर्फ निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने की है। क्योंकि केंद्र सरकार ने नियमों के विरुद्ध सालों से लाखों टन अवैध कोयला खनन करने वाले जिंदल ग्रुप पर जुर्माना लगाने की बजाय दो खदानें कपूरडी और जालियापा तोहफे में आवंटित कर दी। और कोई दर तय नहीं की, मनमाने तरीके से खनन किया जा रहा है।इसके अलावा जिंदल साउथ वेस्ट ग्रुप अपनी मनमानी कर रहा है। सरकार थर्मल प्लांट चलाने के लिए कोयला भी उपलब्ध नहीं करवा रही है। बेनीवाल ने सरकार से मांग की कि जिंदल ग्रुप को आवंटित खदान से कोयला उपलब्ध करवाया जाए। जिससे सरकारी थर्मल प्लांट को पुनः चालू किया जा सके और बिजली उत्पादन की समस्या का भी समाधान हो सके।