राजस्थान में कन्हैयालाल हत्याकांड के बाद आज भी परिवार में मातम के बादल, पत्नी और बच्चों ने सुनाई अपनी दुखभरी कहानी

राजस्थान में कन्हैयालाल हत्याकांड के बाद आज भी परिवार में मातम के बादल, पत्नी और बच्चों ने सुनाई अपनी दुखभरी कहानी
 
राजस्थान में कन्हैयालाल हत्याकांड के बाद आज भी परिवार में मातम के बादल, पत्नी और बच्चों ने सुनाई अपनी दुखभरी कहानी

उदयपुर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान के उदयपुर में 28 जून 2022 को हुए हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. यहां टेलर कन्हैयालाल की दो लोगों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी. इसके बाद सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर हत्या की बात कबूल की थी. इस जघन्य घटना को दो साल हो चुके हैं. दोनों आरोपी जेल में हैं. इस घटना के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुआ. लोगों ने पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की. कन्हैयालाल का परिवार आरोपियों को सख्त सजा दिए जाने की मांग कर रहा है. कन्हैयालाल की पत्नी का कहना है कि मैं चाहती हूं कि दोषियों का वही हश्र हो, जो उन्होंने मेरे पति के साथ किया. 

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कन्हैयालाल का परिवार आज भी डर के माहौल में जी रहा है. उनके उदयपुर स्थित आवास पर लगातार पुलिस जवानों का पहरा है. सरकारी दफ्तर में एलडीसी के पद पर तैनात कन्हैयालाल के दोनों बेटों को पुलिस सुरक्षा में आना-जाना पड़ता है. घर के बाहर गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कई सीसीटीवी कैमरे लगे हैं.  कन्हैयालाल के बेटे तरुण ने कहा कि हमें अब तक न्याय नहीं मिला है. हमारी जिंदगी सामान्य नहीं है. हम जहां भी जाते हैं, हमारे साथ सुरक्षाकर्मी रहते हैं. मैं सिविल सर्विसेज की तैयारी करना चाहता हूं. मुझे अपने पिता की याद आती है. दुनिया का कोई भी मुआवजा पिता की भरपाई नहीं कर सकता. स्थानीय निवासी ने कहा कि इस घटना में अभी न्याय नहीं हुआ है, भले ही गुस्सा कुछ हद तक कम हो गया हो.

उदयपुर के तत्कालीन कलेक्टर ने ले लिया था वीआरएस

लोकसभा चुनाव करीब आने के साथ इस घटना को लेकर कई लोगों का मानना है कि माहौल का ध्रुवीकरण जारी है. हालांकि गुस्सा कुछ हद तक कम हो गया है. उदयपुर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद मीना का मुकाबला भाजपा के मन्नालाल रावत से होगा. ताराचंद मीना ने एक आईएएस अफसर के रूप में कार्य किया, जिन्हें अशोक गहलोत शासन के दौरान सीएम उत्कृष्टता पुरस्कार मिला. साल 2022 में जब कन्हैयालाल की हत्या हुई, तब वह उदयपुर में कलेक्टर थे, बाद में उन्होंने वीआरएस ले लिया और उन्हें उदयपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस का टिकट मिला. दूसरी ओर, रावत आरटीओ में अतिरिक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत थे.