Ajmer 48 कच्ची बस्तियों का विकास हस्तांतरण-अधिग्रहण में अटका

Ajmer 48 कच्ची बस्तियों का विकास हस्तांतरण-अधिग्रहण में अटका
 
Ajmer 48 कच्ची बस्तियों का विकास हस्तांतरण-अधिग्रहण में अटका

अजमेर न्यूज़ डेस्क, अजमेर  विकास प्राधिकरण से शहर की 48 कच्ची बस्तियों को नगर निगम अजमेर में हस्तांतरित करने का विवाद गत 10 सालों से अटका हुआ है। कोई ना कोई तकनीकी कारण की आड़ में विभाग एक दूसरे पर अपनी जिमेदारी डाल रहे हैं। नगर निगम उपायुक्त की ओर से एडीए को हालिया भेजे पत्र में साफ लिखा है कि संसाधनों व तकनीकी स्टाफ की कमी के कारण 48 कच्ची बस्तियों को लेने में असमर्थ हैं।

यहां हैं कच्ची बस्तियां

घूघरा घाटी,इंदिरा कॉलोनी मीरशाहअली, जटिया हिल्स, हरि नगर, गणेशगढ़, राजीव कॉलोनी, आंतेड़, बोराज रोड, बाबूगढ़,चमारघाटी,कमला मोहल्ला, धानका बस्ती, त्रिलोक नगर,ईदगाह, मसूदा नाड़ी, शांति नगर, मलूसर रोड, भगवान गंज, बालूपुरा, नोडिया भैरु, अशोक नगर भट्टा,बावड़ी पाड़ा, उदयगंज,भजन गंज, गुर्जर धरती,कुहार का बाड़ा, लूणकरण का हत्था, गुर्जर टीला, प्रताप नगर भट्टा, नागबाव, तोपदड़ा की बस्तियां, नागफणी, जवाहर नगर, चादर पाल बीछला, कंजर बस्ती, लोहाखान,कोली बस्ती, लौंगिया, जादूघर,साधु बस्ती, पुलिस लाइन, अजय नगर, मिस्त्री मोहल्ला, उतमचंद सुनार का बाड़ा, चीता नगर, सुभाष नगर।

निगम व एडीए के बीच उलझा मामला

इसका खामियाजा उन हजारों लोगों को भुगतना पड़ रहा है जो यहां रहते हैं। दो विभागों की खींचतान में इन मकानों के पट्टे जारी नहीं किए जा सके। इस कारण वह कागजों में मकान मालिक नहीं हैं और बैंक आदि वित्तीय संस्थाओं से संपत्ति के आधार पर ऋण आदि भी नहीं ले पा रहे। जिससे उनका विकास अवरुद्ध हो गया है।

देवनानी ने भी ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए उठाया मुद्दा

प्रकरण में विधानसभा अध्यक्ष व क्षेत्रीय विधायक वासुदेव देवनानी भी ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए इस मामले को विधानसभा में उठा चुके हैं। इसके बावजूद हस्तांतरण का कार्य आगे नहीं बढ़ रहा।

अधिकारी के निर्देश प्राप्त नहीं

कच्ची बस्ती हस्तांतरण के मामले में गत 6 जुलाई को एडीए ने निगम को पत्र लिखकर हेंडओवर-टेकओवर करने की बात कही है। इसके बाद एडीए के अधिकारी, कर्मचारी ने व्यक्तिगत संपर्क भी किया। निगम के जिमेदारों का कहना है कि उन्हें अधिकारी के निर्देश प्राप्त नहीं है।

डिनोटिफाइड के मायने

शब्द के मायने अनाधिसूचित होता है। यानि क्षेत्र या शहर या पालिका का ऐसा क्षेत्र जो एक या अधिक मापदंडों को पूरा नहीं करता लेकिन फिर भी महत्वपूर्ण है। उस क्षेत्र को डीनोटिफाइड कहा जाता है। डिनोटिफाइड उस क्षेत्र या इलाके को किया जाता है जहां विकास कार्य कराने हैं। अधिकांश कच्ची बस्तियों में कई मंजिला मकान, मार्बल युक्त बालकनी, बंगले हैं। सडकें लाइट,पानी के कनेक्शन हैं। एडीए के अधिकारियों की मानें तो अब अधिकांश कच्ची बस्तियों का रूप बदल चुका है।