Bikaner यहां रावण, कुंभकरण और मेघनाद के साथ शूर्पणखा का भी होता है दहन

Bikaner यहां रावण, कुंभकरण और मेघनाद के साथ शूर्पणखा का भी होता है दहन
 
Bikaner यहां रावण, कुंभकरण और मेघनाद के साथ शूर्पणखा का भी होता है दहन
बीकानेर न्यूज़ डेस्क, बीकानेर धरणीधर खेल मैदान पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के बीच दशहरा महोत्सव का आयोजन होगा। यहां 85 फीट ऊंचे रावण तथा 75-75 फीट ऊंचे कुंभकण व मेघनाद के पुतलों का दहन होगा। खेल मैदान के पास स्थित करीब 100 फीट ऊंचे धोरे पर होने वाला शूर्पणखा के पुतले का दहन आकर्षण का केन्द्र रहेगा। रिमोट से रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों का दहन होगा। दशहरा महोत्सव के लिए यहां पुतलों के निर्माण के साथ-साथ रावण की सोने की लंका भी बनाई जा रही है। उत्तर प्रदेश से आए कारीगर यहां दिन रात पुतलों के निर्माण करने में जुटे हुए हैं। वहीं दशहरा कमेटी के सदस्य भी अन्य तैयारियों में जुट गए हैं। दशहरा महोत्सव के दौरान शूर्पणखा के पुतले का भी दहन केवल धरणीधर खेल मैदान में होने वाले महोत्सव में ही होता है।

हर किसी को रोमांचित करेगी बमों की आवाज

रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद और शूर्पणखा के पुतलों को तैयार करने वाले कारीगर इस्लामुद्दीन का कहना है कि धरणीधर खेल मैदान दशहरा महोत्सव स्थल पर शूर्पणखा का पुतला बनाया जा रहा है। दशहरा के दिन शूर्पणखा के पुतले के दहन के दौरान उसके मुंह से चिंगारियां निकलेंगी। पुतले में 300 बम लगाए जा रहे हैं।इनकी आवाज हर किसी को रोमांचित करेगी। ऊंचे धोरे पर ही शूर्पणखा का दहन होगा।

विभिन्न व्यवस्थाओं की जिमेदारियां सौंपी

श्री धरणीधर दशहरा कमेटी की बैठक अध्यक्ष देवकिशन चांडक की अध्यक्षता में हुई। बैठक में दशहरा महोत्सव की विभिन्न व्यवस्थाओं की जिमेदारियां कार्यकर्ताओं को सौंपी गई।कार्यक्रम समन्वयक आनंद जोशी के अनुसार महोत्सव के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी होंगी। बैठक में दर्शकों के बैठने, ध्वनि, सजावट, जल,मंच, पार्किंग,सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन, सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित विभिन्न व्यवस्थाओं की जिमेदारियां पदाधिकारियों व सदस्यों को सौंपी गई। कमेटी से जुड़े दुर्गा शंकर आचार्य के अनुसार रावण के पुतले के दहन से पहले 108 हनुमान चालीसा पाठ होंगे। शस्त्र पूजन भी होगा। कमेटी के सरंक्षक एवं संयोजक राजेश चूरा ने सामुदायिक भागीदारी के लिए अपील की। बैठक में नरेश आचार्य, किशोर आचार्य, जितेन्द्र आचार्य,जगमोहन आचार्य आदि ने महोत्सव आयोजन की तैयारियों पर सुझाव रखे।