Alwar सस्ती बिजली से फर्नेस इकाइयों को मिल सकती है संजीवनी

Alwar सस्ती बिजली से फर्नेस इकाइयों को मिल सकती है संजीवनी
 
Alwar सस्ती बिजली से फर्नेस इकाइयों को मिल सकती है संजीवनी
अल्वा न्यूज़ डेस्क, अलवर  उद्योग क्षेत्र में नए निवेशकों को लाने के लिए जोरशोर से तैयारियां चल रही हैं। इसी कड़ी में जरूरी है कि जो निवेशक यहां पहले से आ चुके हैं उन्हें संजीवनी दी जाए। इसी प्रकार से फर्नेस सेक्टर को मदद की दरकार है। सस्ती बिजली से फर्नेस सेक्टर को पुनर्जीवन मिल सकता है।महंगी बिजली की वजह से क्षेत्र की 17 में से नौ फर्नेस इकाइयां बंद हो चुकी हैं। सैकड़ों मजदूरों का रोजगार भी छिन गया है। इन इकाइयों के बिजली कनेक्शन कटने से निगम को भी साल में करीब 150 करोड़ के बिजली बिल का नुकसान हो रहा है। वहीं एसजीएसटी राजस्व में भी 80 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। फर्नेस इकाई से जुड़े उद्यमियों ने बताया कि भिवाड़ी में 17 में से आठ इकाई बची हैं। फर्नेस इकाइयों में कच्चे माल से लोहे के इंगट बनाए जाते हैं, इन इंगट का उपयोग सरिया उत्पादन में होता है। भिवाड़ी की इकाइयों के सामने समस्या यह है कि यहां बिजली की बेस रेट प्रति यूनिट 7.30 पैसे प्रति यूनिट है, जबकि पंजाब में यह दर छह रुपए प्रति यूनिट के आसपास है। पंजाब में बिजली सस्ती होने की वजह से कच्चे माल को वहां महंगी दर पर खरीद लिया जाता है, क्योंकि बिजली सस्ती होने से उनका औसत निकल आता है।

जबकि भिवाड़ी में बिजली महंगी होने की वजह से यहां के उद्यमी कच्चे माल को महंगा नहीं खरीद सकते। भिवाड़ी कि इकाइयों को न तो सस्ता कबाड़ मिल रहा है और न ही सस्ती बिजली मिल रही है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़, रायपुर, रायगढ़ में भी बिजली सस्ती होने की वजह से वहां से निर्मित इंगट का सरिया निर्माता खरीद लेते हैं। स्थानीय सरिया उत्पादक भिवाड़ी की इकाइयों की अपेक्षा पंजाब और छत्तीसगढ़ से सस्ता माल ले रहे हैं। इस समस्या को देखते हुए स्थानीय फर्नेस इकाइयों ने उत्पादन बंद कर दिया है। उत्पादन के बंद होने से करीब पांच हजार मजदूरों के सामने भी रोजगार का संकट खड़ा हो गया है।