Nagaur पशुपालन विभाग के प्रजनन फार्मों पर ताला लगने की कगार पर

Nagaur पशुपालन विभाग के प्रजनन फार्मों पर ताला लगने की कगार पर
 
Nagaur पशुपालन विभाग के प्रजनन फार्मों पर ताला लगने की कगार पर
नागौर न्यूज़ डेस्क, नागौर जिला मुयालय पर पिछले कई वर्षों से संचालित वृषभ (सांड) पालन केन्द्र एवं लाडनूं के बाकलिया में संचालित भैंस प्रजनन फार्म पर ताले लगने की नौबत आ गई है। इसका प्रमुख कारण स्टाफ की कमी है। नागौर के वृषभ पालन केन्द्र में पिछले एक साल से पशुपालकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जबकि बाकलिया का भैंस प्रजनन केन्द्र पिछले एक साल से अक्रियाशील है। वहां एक भी कर्मचारी कार्यरत नहीं हैं। फार्म का अतिरिक्त कार्यभार वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय, निबी जोधा को दिया हुआ है। हालांकि बाकलिया भैंस प्रजनन केन्द्र पर हर साल लाखों रुपए का बजट खर्च किया जा रहा है, लेकिन पशुपालकों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। गौरतलब है कि पूरे प्रदेश में कहीं पर भी भैंस प्रजनन केन्द्र संचालित नहीं है।

फार्म में चल रहा प्रशिक्षण केन्द्र: राज्य सरकार की ओर से दो साल पहले बजट में की गई घोषणा के तहत वृषभ पालन केन्द्र में पिछले एक साल से पशुपालक प्रशिक्षण केन्द्र संचालित हो रहा है। नागौर के पशुपालक प्रशिक्षण केन्द्र में नागौर, डीडवाना-कुचामन, बीकानेर व पाली जिले के पशुपालकों को प्रशिक्षण देने के निर्देश हैं।

सांड पालन से बकरे पालन पर आए, एक साल से वो भी बंद

नागौर में पशु मेला मैदान से सटे वृषभ पालन केन्द्र की शुरुआत वर्षों पहले नागौरी नस्ल के गोवंश को बढ़ावा देने के लिए की गई। नागौरी नस्ल के बैल देशभर में प्रसिद्ध थे, इसलिए यहां अच्छी नस्ल के सांडों को पालकर पशुपालकों को दिए जाते थे, ताकि नस्ल सुधार हो। जैसे-जैसे खेती में बैलों की उपयोगिता घटती गई, वैसे-वैसे सांडों की मांग भी घट गई। इसे देखते हुए पशुपालन विभाग ने सांडों के स्थान पर पाडों (भैंसे) को पालना शुरू कर दिया। हरियाणा से मुर्रा नस्ल के छोटे पाडे लाए जाते और फिर बड़ा करके पशुपालकों को अनुदान पर बेचे जाते थे, ताकि जिले में भैंस का नस्ल सुधार हो। लेकिन इस योजना को भी कुछ वर्ष पहले बंद करके सिरोही नस्ल के बकरे पालने शुरू किए। कुछ समय पशुपालकों को अनुदान पर बकरे देने के बाद पिछले एक साल से यह योजना भी बंद कर दी है। हालांकि वृषभ पालन केन्द्र के अधिकारियों का कहना है कि योजना बंद नहीं की है, लेकिन वर्तमान में एक भी बकरा केन्द्र में नहीं है।