Rajsamand भीम उप जिला अस्पताल में प्रतिदिन करीब 700 मरीज आउटडोर में रहते

Rajsamand भीम उप जिला अस्पताल में प्रतिदिन करीब 700 मरीज आउटडोर में रहते
 
Rajsamand भीम उप जिला अस्पताल में प्रतिदिन करीब 700 मरीज आउटडोर में रहते
राजसमंद न्यूज़ डेस्क, राजसमंद यह उपखंड मुख्यालय पिछले दो साल में एकसाथ कई तमगे पा चुका है, लेकिन हालातों में तब्दीली आनी अभी बाकी है। भीम के सरकारी अस्पताल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से उप जिला चिकित्सालय बने 2 वर्ष हो गए, लेकिन अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम है। राज्य सरकार ने अस्पताल का दर्जा जरूर बढ़ा दिया है, पर जमीनी स्तर पर इलाज की सुविधाओं में कोई बदलाव नहीं आया। छोटी-मोटी परेशानी होने पर भी मरीजों को ब्यावर रैफर कर दिया जाता है।वर्तमान में इस अस्पताल में हर रोज औसतन 700 मरीज उपचार के लिए आते हैं। यां मरीजों की काफी भीड़ लगी रहती है। वक्त के साथ मरीजों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है। मौजूदा समय में हालात ऐसे हैं कि तकरीबन सभी वार्ड में रोगी भर्ती हैं।

चार जिलों की सीमा पर भीम अस्पताल

भीम का सरकारी अस्पताल चार जिलों की सीमा पर स्थित है। यहां सर्वाधिक आवाजाही रहती है। दुर्घटना के लिहाज से अति संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है। भीलवाड़ा जिले के करेड़ा व आसींद क्षेत्र में बसे लोग, अजमेर जिले के टॉडगढ़ व जवाजा क्षेत्र, पाली जिले के कुछ ग्राम पंचायत के लोगों की आबादी इसी चिकित्सा केंद्र पर निर्भर रहती है। इस दृष्टि से भीम अस्पताल में सुविधाओं का बेहतर होना जरूरी है। स्थान के अभाव में रोगियों घायलों को ब्यावर रैफर करना पड़ता है। उप जिला अस्पताल बनने पर भी सुविधाएं नहीं: दो साल पहले उप जिला अस्पताल की घोषणा होने के बावजूद ट्रोमा यूनिट में ब्लड बैंक यूनिट, डिजिटल ईसीजी और अन्य चिकित्सा सुविधाएं स्थापित नहीं हुई हैं।

सोनोग्राफी, डिजिटल एक्स-रे, ब्लड बैंक यूनिट की व्यवस्था ही नहीं है। सोनोग्राफी गर्भवती महिलाओं के लिए ही है, यह कहकर बाकी मरीजों को वंचित किया जाता है। आधे समय सोनोग्राफी मशीन बंद रहती है। खराब होने की बात कहकर टरका दिया जाता है। मजबूरी में लोग बाहर मुंहमांगी कीमत पर सोनोग्राफी करवाते हैं। पार्किंग व्यवस्था नहीं, फंसती है एम्बुलेंसउप जिला चिकित्सालय में प्रवेश करते ही दुपहिया वाहन एवं कार आदि वाहनों के भारी जमावड़े से एम्बुलेंस खड़ी होने तक की जगह नहीं होती है। कई बार मरीजों को सडक़ से ही स्ट्रेचर पर डालकर अंदर ले जाना होता है या हाथों पर उठाकर वार्ड में ले जाना पड़ता है।