Barmer संस्कृति और व्यावहारिकता के बिना दर्शन के महत्व को समझना कठिन

Barmer संस्कृति और व्यावहारिकता के बिना दर्शन के महत्व को समझना कठिन
 
Barmer संस्कृति और व्यावहारिकता के बिना दर्शन के महत्व को समझना कठिन

बाड़मेर न्यूज़ डेस्क,  प्रवचन में मौजूद पुरूष व महिलाएं बाड़मेर स्थानीय श्री जिनकांतिसारगसूरी आराधना भवन में श्री जैन श्वेतांबर खरतरगच्छ संघ चातुर्मास कमेटी की ओर से चल रहा अनुभवानंदी वर्षावास प्रवचनमाला की श्रृंखला में गुरुवार को साध्वी कल्पलता ने कहा कि धर्म बिंदू ग्रंथ में हरिभद्र सूरि के दृष्टांत में आता है कि एक छोटा सा नियम नयासार को भगवान महावीर बना सकता है।

नयासार का नियम था किसी अतिथि को भोजन कराए बिना भोजन नहीं करना। तो समझो नियम का फल क्या होता है, एक महान घमंडी पंडित हरिभद्र का नियम था किसी श्लोक का अर्थ नहीं आया तो भोजन नहीं करूंगा। साध्वी शीलांजना ने कहा कि पहले संस्कार नहीं होंगे तो तत्वज्ञान का महत्व समझना कठिन है। भूमि उपजाऊ नहीं होगी तो खेती कैसे होगी। परिवार में संस्कार नहीं होंगे। व्यवहारिक ज्ञान नहीं होगा तो तत्वज्ञान कहां से आएगा। सबसे पहला संस्कार होता है गर्भ संस्कार, आज गर्भ संस्कार की जगह कितनी गंदी रीति रिवाजों ने ले ली है। क्या क्या हो रहा फिर उनको स्टेटस व फेसबुक में भी अपलोड कर रहे हो। गर्भ के समय गर्भवास में कितना ध्यान रखना जरूरी है। गर्भवास में माता सोएगी तो बच्चा आलसी होगा।

दूसरा होता है ग्रीह संस्कार उसमें सभी डाक्टर, इंजीनियर, वकील बनाना चाहते है। अपनी ओलाद को पारिवारिक ज्ञान न के बराबर देने का परिणाम पैसा तो इकट्ठा कर लेगा परिवार से प्रेम, प्यार, सेवा से दूरी बना देगा। चातुर्मास कमेटी सचिव बाबूलाल बोथरा ने बताया कि शुक्रवार को 7 दिन के सभी तप​स्वियों का संघ की ओर से बहुमान किया जाएगा। चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सुबह भक्तांबर पाठ, प्रातः व सांयकालीन प्रतिकमण व तपस्याएं निरंतर चालू