Jaipur Choti Diwali मनाएं, मिट्टी के दीये खरीदें ताकि इन्हें बनाने वालों का घर भी हो सके रोशन
जयपुर न्यूज़ डेस्क, धनतेरस मंगलवार को मनाई गई और इसके साथ ही पांच दिन का दीपोत्सव शुरू हो गया। शहर में जगह-जगह मिट्टी के दीये बेचने के लिए दुकानें सजी हैं। वहीं, कमल का फूल व कमल गट्टा कोलकाता से मंगवाया जा रहा है। लक्ष्मी पूजन के लिए भी बाजारों में पतासे की तरह अलग-अलग आकृत्तियों की मिठाइयां तैयार कर ली गई हैं।
अधिकांश जगह पर जयपुर व आस-पास गांवों के परंपरागत रूप से दीये बनाने वाले कारीगर फुटपाथ पर ही अपनी दीयों की दुकान लगाकर ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं। मिट्टी के दीपकों की ज्यादा से ज्यादा खरीदें ताकि आपके आस-पास पड़ोस में दीये बनाने व बेचने वालों के घर भी खुशियों की रोशनी पहुंच सके। उम्मीद के साथ ही कारीगरों ने ढेरों दीये तैयार किए हैं। गजसिंहपुरा अजमेर रोड निवासी कारीगर रमेश प्रजापत ने बताया कि दीये बनाने की 4 माह से तैयारी चल रही है। इस बार अधिक बरसात के चलते चिकनी मिट्टी मिलने में परेशानी हो रही है। इसी वजह से दीये देरी से बन पाए और सूखने में समय लगा। हालांकि अभी बाजार में तैयार दीयों की खूब सारी स्टॉल लगने लग गई हैं।सोडाला में 50 साल से मिट्टी के बर्तन, दीये सहित अन्य तरह के आइटम बेच रहे हरिनारायण प्रजापत ने बताया कि इस बार लगातार बारिश होने से चिकनी मिट्टी मिलने में परेशानी हो रही है। इस बार कालख के बांध से मिट्टी लाकर दीये बनाए गए हैं।
25 तरह के मिट्टी के दीये, जो 1 रुपए से 500 रुपए तक
बाजार में 25 तरह के मिट्टी दीये उपलब्ध हैं। जिनमें डाई के दीये, हाथ से बने बड़े दीये, मांडणा वाले दीये, कलर वाले दीये, 21 बत्ती वाला दीया, लालटेन दीया, स्टेंड दीया, सादा दीये, गुजरात वाला डिजाइन का दीया सहित अन्य तरह के दीये हैं। जिनकी कीमत 1 रुपए से 500 रुपए तक है।लक्ष्मी पूजन में कमल का फूल व कमल गट्टा रखना शुभ, जयपुर में 20 लाख के फूलों की बिक्री
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में कमल का फूल व कमल गट्टा रखना शुभ माना गया है। दीपावली पर जयपुर में करीब 20 लाख रुपए के तो फूल ही बिक जाते हैं, जिसमें करीब 8 लाख रुपए की तो कमल का फूल की बिक्री होती है। जबकि करीब 11 से 12 लाख रुपए के गुलाब व अन्य सजावटी फूल बेचे जाते हैं। चांदी की टकसाल फूल मंडी गंध माल्य पुष्प भंडार के खेमचंद सैनी ने बताया कि गुलाब का फूल तो बरेली, अहमदाबाद व जमवारामगढ़ से आता है। जबकि कमल का फूल व कमल गट्टा कोलकाता से मंगवाया जाता है। कमल का फूल ट्रेन से लाया जाता है, जिसे आने में दो दिन का समय लग जाता है। इन्हें आइस बॉक्स में बर्फ के बीच रखकर लाया जाता है। पिछले दो दिन से कमल के फूल बाजार में आने लग गए हैं और कोल्ड स्टोरेज में रखे गए हैं ताकि खराब न हो।