Chittorgarh 19 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग बरसेगी सूर्य एवं शनिदेव की कृपा
चित्तौड़गढ़ न्यूज़ डेस्क, चित्तौड़गढ़ हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है एवं इसे बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति का धार्मिक, सांस्कृतिक और खगोलीय महत्व है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है।इसे सूर्य का उत्तरायण भी कहा जाता है एवं इसके साथ ही खरमास भी समाप्त हो जाता है और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। मुख्यत: धार्मिक दृष्टि से यह भगवान सूर्य की पूजा का दिन है । इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं और सूर्य देव की आराधना करते हैं। सांस्कृतिक रूप से, यह पर्व नई फसल के आगमन की खुशी का प्रतीक है। इस दिन तिल और गुड़ से बनी चीजें खाई जाती हैं और पतंगें उड़ाई जाती है। खगोलीय दृष्टि से, इस दिन सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है, जिससे दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। भारत वर्ष में मकर संक्रांति को संक्रांति, पोंगल, माघी, उत्तरायण, उत्तरायणी और खिचड़ी आदि नाम से भी जाना जाता है।
ये बन रहे रहे संयोग
इस बार 19 वर्षों बाद मकर संक्रांति पर विशेष संयोग निर्मित हो रहे हैं। जिसमें भौम पुष्प योग को अत्यंत शुभ माना जा रहा है। यह योग मंगल और पुष्य नक्षत्र के मिलन से बनता है। इस योग में किए गए कार्यों में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही इस बार माघ कृष्ण प्रतिपदा में पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र के युग्म संयोग का निर्माण भी हो रहा है।
शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचाग के आधार पर ज्योतिषाचार्य डॉ. संजय गील ने बताया की मकर संक्रांति इस बार मंगलवार, 14 जनवरी 2025 को ही मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य सुबह 8 बजकर 41 मिनट मकर राशि में प्रवेश करेंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति पुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। महापुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।