Sawai madhopur में निजीकरण रोकने और ओपीएस लागू करने की मांग

Sawai madhopur में निजीकरण रोकने और ओपीएस लागू करने की मांग
 
Sawai madhopur में निजीकरण रोकने और ओपीएस लागू करने की मांग

सवाई माधोपुर न्यूज़ डेस्क, विद्युत निगम में कार्यरत तकनीकी व अन्य कर्मचारियों ने विभाग में निजीकरण का विरोध करते हुए ओपीएस लागू करने सहित अन्य मांगों को लेकर निगम के सालौदा स्थित अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर धरना दिया। कर्मचारियों ने नारेबाजी कर विरोध जताया। इसके बाद कार्यालय से कलेक्ट्रेट तक रैली निकाली गई तथा कलेक्ट्रेट में नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। सुबह करीब साढ़े नौ बजे गंगापुर सिटी मुख्यालय व जिले के अन्य उपखंड बामनवास, वजीरपुर, टोडाभीम व नादौती के कनिष्ठ अभियंता सहित निगम के अन्य अधिकारी व कर्मचारी सालौदा स्थित अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर एकत्रित हुए तथा यहां निगम कार्यालय में सभी ने विद्युत निगम में निजीकरण के विरोध में धरना देकर विरोध जताया तथा ओपीएस लागू करने सहित अन्य मांगों को लेकर विरोध जताया।

साथ ही अधीक्षण अभियंता बीएल मीना को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद सभी एसई कार्यालय से रैली के रूप में नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे और कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में नारेबाजी कर विरोध जताया तथा ओपीएस लागू करने सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। इसके बाद कलेक्टर डॉ. गौरव सैनी को ज्ञापन सौंपा। राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी संघ के जितेंद्र मावई, राजस्थान विद्युत मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के तरुण गुप्ता, पावर इंजीनियरिंग एसोसिएशन के भूपेश शर्मा, लेखा संघ के पवन कुमार मित्तल,

राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति के जिला उपाध्यक्ष मनीष शर्मा के अलावा एआरओ मोहित, कनिष्ठ अभियंता सतीश मीना ने बताया कि निगम में विभिन्न कार्यों के नाम पर लगातार निजीकरण बढ़ रहा है। कर्मचारी लंबे समय से निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। निगम में बढ़ते निजीकरण के कारण कर्मचारियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वितरण के क्षेत्र में तीनों डिस्कॉम में अधिकांश कार्य वर्तमान में आउटसोर्स, एफआरटी, ठेका व सीएलआरसी आदि के नाम पर निजी भागीदारी से हो रहे हैं। अब एचएएम मॉडल के तहत फीडर सेग्रीगेशन व सोलराइजेशन को आउटसोर्स कर निजी हाथों में दिया जा रहा है। जिससे प्रदेश व देश की सामरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है।इतना ही नहीं, इस मॉडल के माध्यम से उपकेंद्र से प्राप्त आय को निजी भागीदारों में बांटकर ट्रांसमिशन को घाटे का निगम बनाने का प्रयास किया जा रहा है।