Dholpur चिकित्सा विभाग अनदेखी कर नर्सिंग होम व निजी अस्पतालों की जांच तक नहीं कर रहा

Dholpur चिकित्सा विभाग अनदेखी कर नर्सिंग होम व निजी अस्पतालों की जांच तक नहीं कर रहा
 
Dholpur चिकित्सा विभाग अनदेखी कर नर्सिंग होम व निजी अस्पतालों की जांच तक नहीं कर रहा
धौलपुर न्यूज़ डेस्क, धौलपुर  शहर समेत छोटे-बड़े कस्बों में अधिकांश नर्सिंग होम व अस्पताल सरकारी डॉक्टरों के भरोसे चल रहे हैं। संचालक अस्पताल खोलकर बैठे हैं और मरीज की जांच से लेकर ऑपरेशन करने तक की जिम्मेदारी सरकारी चिकित्सक निभाते हैं। ऑपरेशन करने के बाद मरीजों को अप्रशिक्षित लोगों के हवाले कर डॉक्टर चले जाते हैं। जिससे कई दफा परेशानी खड़ी हो जाती है और हंगामे भी सामने आ चुके हैं।सरकार व चिकित्सा विभाग की मनाही के बाद भी सरकारी डॉक्टर निजी अस्पतालों के संचालन में पूरा सहयोग कर रहे हैं। इसकी गवाही निजी नर्सिंग होम व अस्पताल दे रहे हैं। जहां सरकारी डॉक्टर अपनी भूमिका अदा करते दिख जाएंगे। ज्यादातर नर्सिंग होम अन्य चिकित्सक के नाम पर पंजीयन है, जो यहां  कभी कभार ही अस्पताल आते हैं। जो अस्पताल संचालक से कुछ राशि लेकर वह लौट जाते हैं। सरकारी अस्पताल के चिकित्सक अपनी ड्यूटी पर कम और प्राइवेट अस्पताल में ज्यादा समय देते हैं।

निजी नर्सिंग होम व अस्पतालों को दे रहे तरजीह

सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को कुछ लोग प्राइवेट अस्पताल में इलाज करने के लिए बुलाते हैं। मरीजों से मोटी रकम लेकर उनका ऑपरेशन भी किया जा रहा है। नतीजा ये है कि सरकारी अस्पताल दिनोंदिन बदहाल होते जा रहे हैं। मरीजों को यहां जानबूझकर सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। कोई न कोई कमी बताकर डॉक्टर रैफर कर देता है। सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक ही प्राइवेट अस्पतालों में उनका इलाज और आपरेशन का जिम्मा संभाल रहे हैं। शहर में ऐसे कई चिकित्सक मिल जाएंगे जो ड्यूटी पर कम और अपने अस्पताल में ज्यादा समय दे रहे हैं। खुद ऑपरेशन करते हैं या फिर साथ में नौकरी करने वाले सरकारी डॉक्टरों को बुलाते हैं। स्वास्थ विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देते हैं।

अस्पताल संचालन बना बिजनेस

बता दें कि शहर में कई निजी अस्पताल निजी व्यवसाय के रूप में संचालित हैं। इन अस्पतालों में फंडिंग कोई और करता है और नर्सिंग स्टाफ व चिकित्सक को लगाकर अस्पताल शुरू कर दिया जाता है। रजिस्ट्रेशन भी किसी चिकित्सक के नाम पर लिया जाता है। हाल में धौलपुर शहर में एक निजी अस्पताल खुला है। इसमें एक व्यक्ति पहले दूसरे अस्पताल में था। वहीं, दूसरे अस्पताल के संचालक के रिश्तेदार के साथ पार्टनशिप में नया अस्पताल खोल दिया। रजिस्टे्रशन होने में दिक्कत आई तो एक बड़े जनप्रतिनिधि से फोन करवा दिया।