Dungarpur उम्र 60 पार, सेवा का जज्बा अब भी बरकरार

Dungarpur उम्र 60 पार, सेवा का जज्बा अब भी बरकरार
 
Dungarpur उम्र 60 पार, सेवा का जज्बा अब भी बरकरार

डूंगरपुर न्यूज़ डेस्क , डूंगरपुरयह देश युवाओं का देश है, लेकिन युवाओं को प्रेरणा देने में बुजुर्गों के अनुभव और उनके वजूद को भी नकार नहीं सकते हैं। कुछ युवा वृद्ध होने से पहले ही हर परिस्थिति में खुद को थका मान बैठते हैं और कुछ वृद्ध तमाम तरह के विपरित हालातों के बावजूद खुद को युवाओं से कमत्तर नहीं मान रुके न तू, थके न तू की थीम पर कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ते रहते हैं। उम्र 60 पार होने के बावजूद अनूठे सेवा कार्यों के बूते न केवल वह खुद अपनी अलग पहचान स्थापित करते हैं। अपितु, क्षेत्र को भी पहचान बनते हैं। बुजुर्गों के ऊर्जा के साथ विभिन्न क्षेत्रों में नजीर पेश करने की बानगी दक्षिणी राजस्थान के डूंगरपुर जिले में देखी जा सकती है। यहां के बुजुर्गों ने श्रम की साधना के बूते पद्मश्री जैसे गरिमामय अवार्ड तक प्राप्त किए हैं। आज अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर कुछ ऐेसे विरले वृद्धजनों के प्रयासों को सराहने का विनम्र प्रयास करते हैं, जिन्होंने उम्र के इस पड़ाव में भी अपने सेवा के जज्बे को कभी थमने नहीं दिया है। यह सुबह होने के साथ ही अपने मिशन में जुट जाते हैं...।

राजकीय सेवा अपने सेवाकाल दौरान रक्तदान के क्षेत्र में जिले का कीर्तिमान प्रदेश स्तर पर स्थापित करने के बाद भी उनका सेवा का जज्बा सेवानिवृत्ति के बाद भी थमा नहीं। शहर के पद्मेश गांधी वह शसियत है, जिन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद सेवा-प्रकल्पों को और अधिक गति दी। कभी रक्तदान के क्षेत्र में अतिपिछड़े जिलों में शामिल डूंगरपुर अब अन्य जिलों को रक्त भेजता है। स्वैच्छिक रक्तदान के क्षेत्र में स्वयं 50 बार से अधिक रक्तदान करने के साथ ही 250 से अधिक रक्तदान शिविर आयोजित कर रिकॉर्ड 30 हजार यूनिट रक्तदान करवाया। दिसंबर 2019 में सेवानिवृत्ति के बाद भी सामाजिक, धार्मिक आदि सेवा प्रकल्पों के माध्यम से जुड़ते हुए रक्तदान कैंप के सतत् आयोजन करवा रहे हैं। इसके साथ ही मरणोपरांत नेत्रदान एवं देहदान का भी संकल्प भरवा रहे हैं। गांधी को रक्तदान के क्षेत्र में किए गए विशिष्ट योगदान के लिए समय-समय पर जिला स्तरीय गणतंत्र, स्वतंत्रता दिवस समारोह में समानित करने के साथ ही कई स्वयंसेवी संगठनों ने पुरस्कृत किया है। वर्ष 2000 में राज्यपाल से भी पुरस्कृत हो चुके हैं। पद्मेश चिकित्सा विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं।

शहर के पत्रकार कॉलोनी निवासी योगेशचन्द्र पण्ड्या 72 वर्षीय सेवानिवृत्त पुस्तकालय अध्यक्ष है। कैंसर जैसे जटिल एवं असाध्य रोगों एवं किमो-थैरेपी के हाइडोज और हर साल जटिल मेडिकल जांचों के दौर से गुजरने के बावजूद पण्ड्या सेवा-प्रकल्पों, शैक्षिक उन्नयन के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बूते समाज को नई ऊर्जा एवं दिशा प्रदान कर रहे हैं। पण्ड्या फिलहाल विभिन्न सामाजिक एवं स्वयंसेवी संगठनों से जुड़े हैं। पण्ड्या ने 2012 में सेवानिवृत्ति के बाद एक नई पारी शुरू की। युवा पीढ़ी को अंधविश्वास से दूर करने के ध्येय से वह स्कूलों में जाकर नि:शुल्क मैजिक शो बताते हैं। कई बार लोग हथेली मेें राख, सिक्कों के गर्म होने, पानी के लाल रंग में बदलने आदि से ठगी का शिकार हो जाते हैं। जबकि, यह सभी विज्ञान एवं हाथ की सफाई पर आधारित है। विद्यार्थियों में विज्ञान विषय के प्रति रुचि जागृत करने के ध्येय से छात्रावास, स्कूलों आदि में जाकर नि:शुल्क क्लास भी लेते हैं। विज्ञान विद्यार्थी होने तथा बचपन से ही इलेक्ट्रोनिक्स एवं इलेक्ट्रिकल्स उपकरणों को बनाने तथा रिपेरिंग में रुचि रखने की वजह से उन्होंने कई अनूठे गैजेट्स भी बनाए हैं। लॉकल रेडियो, स्पीकर से एफएम रेडियो, रसोई सिलेण्डर लीकेज होने पर सायरन बजना आदि डिवाइस भी बनाने के साथ ही विद्यार्थियों को गैजेट्स बनाना भी सिखाते हैं। उनका कहना है युवाओं एवं बुजूर्गों को जिंदगी में सकारात्मक रहना जरूरी है।

महावीर इंटरनेशनल प्रियदर्शना क्लब की अध्यक्ष कल्पना दोसी के नेतृत्व में कई महिलाएं नारी शक्तिकरण की अनूठी मिसाल पेश कर रही हैं। दोसी बताती है कि क्लब का गठन 2017 में हुआ है। संगठन से सर्व समाज की महिलाएं जुड़ी है तथा उनके माध्यम से महिलाओं एवं जरूरतमंदों के लिए विभिन्न सेवा-प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं। इनमें प्रमुख रुप से नवजात शिशुओं के लिए बेबी किट, सेनेटरी नेपकिन, प्रसूताओं को पेटीकोट वितरण आदि किए जा रहे हैं। अब तक हजारों को लाभान्वित किया जा चुका है। दोसी बताती है कि त्योहारों पर खुशियों का बाजार भी लगाया जाता है। इसमें जरूरतमंद परिवारों को मात्र दस रुपए में नए परिधान, जूते, बर्तन, पर्स, स्टेशनरी आदि दिए जाते हैं। दोसी बताती है कि महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पोषण आदि को लेकर सतत् प्रयास किए जा रहे हैं। उनका कहना है कि महिलाएं घर-गृहस्थी के कार्यों के बाद भी समय निकाल कर सेवा-प्रकल्पों से अपनी अलग पहचान स्थापित कर सकती है।