कोरोना के बाद भी शरीर में होती है ऑक्सीजन की कमी, डॉक्टरों ने किया अलर्ट

कोरोना के बाद भी शरीर में होती है ऑक्सीजन की कमी, डॉक्टरों ने किया अलर्ट
 
कोरोना के बाद भी शरीर में होती है ऑक्सीजन की कमी, डॉक्टरों ने किया अलर्ट

जयपुर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार शाम अपनी 'एक्स' पोस्ट में कोरोना मरीजों को हो रही हैप्पी हाइपोक्सिया  नाम की बीमारी का जिक्र किया, जिसके बाद लोग ये पूछने लगे कि ये क्या है, और इससे बचाव कैसे करें? चलिए जानते हैं ये क्या बीमारी है, इसके क्या लक्षण हैं और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है...

हैप्पी हाइपोक्सिया क्या है?

ताजा शोध से पता चला है कि कोविड के दौरान और उसके बाद भी शरीर में ऑक्सीजन लेवल में कमी हो सकती है, जिसे "हैप्पी हाइपोक्सिया" कहा जाता है. कई बार मरीज को इसका पता भी नहीं चलता क्योंकि इससे सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन अगर समय रहते इसका निदान न किया जाए तो यह बेहद खतरनाक, हानिकारक और जानलेवा हो सकता है. अगर आपको शरीर में कोई परेशानी महसूस हो तो अपना ऑक्सीजन लेवल जांचते रहें. आजकल कई तरह के वायरल संक्रमण फैल रहे हैं, इसलिए डॉक्टर भी मरीजों को नियमित समय अंतराल में ऑक्सीमीटर का उपयोग करके ऑक्सीजन स्तर मापने की सलाह देते हैं.


मिर्गी के दौरे जैसी तकलीफ

जैसलमेर के राजकीय जवाहर चिकित्सालय के फिजिशियन डॉ. रोहिताश गुर्जर ने बताया कि कोविड के बाद लोगों में ऑक्सीजन लेवल कम होने के मामले सामने आ रहे हैं. जिनका कोरोना के दौरान ऑक्सीजन लेवल डाउन गया था, उनमें से प्रत्येक 100 में 6-7 लोगों की बॉडी में इसका असर देखने को मिल रहा है. कोरोना पर हुए शोध के अनुसार, जिसके शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो रही है, उसे कोई तकलीफ नहीं होती है. लेकिन अचनाक कई बार साइलेंट अटैक या ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी के चलते मिर्गी के दौरे आने जैसी तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए इसे "हैप्पी हाइपोक्सिया या साइलेंट हाइपोक्सिया" कहते है.

कैसे कर सकते हैं बचाव?

इससे बचाव के बारे में जानकारी देते डॉ. गुर्जर बताते हैं कि जिन मरीजों को कोरोना हुआ था और उस दौरान उनके कंग्स डैमेज हुए हों या ऑक्सीजन डाउन गया था तो उन्हे समय-समय पर अपने ऑक्सीजन लेवल की जांच करनी चाहिए. ताकि मरीज को अपने शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने पर जानकारी मिल सके. अगर ऑक्सीजन का लेवल 90 से नीचे जाता है तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें. एक बार जो मरीज इसकी चपेट में आ जाते हैं उसे डॉक्टर्स की निगरानी में करीब 4 से 5 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है. इसीलिए कोरोना वायरस से पूर्व में संक्रमित हुए खासकर बुजुर्ग अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें.