Nagaur बहादुरी के इनाम के इंतजार में सालों बाद भी कइयों को 25 बीघे जमीन नहीं मिल पाई

Nagaur बहादुरी के इनाम के इंतजार में सालों बाद भी कइयों को 25 बीघे जमीन नहीं मिल पाई
 
Nagaur बहादुरी के इनाम के इंतजार में सालों बाद भी कइयों को 25 बीघे जमीन नहीं मिल पाई
नागौर न्यूज़ डेस्क, नागौर  जान देने का हौसला दिखाने वाले कई फौजी अब तक अपनी बहादुरी के इनाम का इंतजार कर रहे हैं। बहादुरी पर पदक तो मिला पर 25 बीघा नहरी जमीन अब तक नहीं मिली। हालांकि विभाग का कहना है कि उसके यहां शहीद के बाद वीरता पदक पाने वाले जायल तहसील के काठौती गांव के एक रिटायर फौजी व डीडवाना के कैप्टन महबूब अब भी अपना हक मांग रहे हैं। बताया जाता है कि नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिले में कुछ शहीद आश्रित अथवा वीरता पदक वाले रिटायर फौजियों को अब भी जमीन का इंतजार है।

सूत्रों के अनुसार करीब तीन साल पहले करीब एक दर्जन से अधिक सम्मानित वीरों को 25 बीघा नहरी जमीन देने का प्रस्ताव सैनिक कल्याण बोर्ड से होकर बीकानेर स्थित उपनिवेशन विभाग में पहुंचा था। इनमें से कुछ को जमीन मिल गई पर कुछ के प्रस्ताव अब भी अटके हैं। हालांकि विभाग ही नहीं सैनिक कल्याण केन्द्र तक लगभग सभी मामले निस्तारित करने का दावा करता है। बावजूद इसके कुछ सैनिक अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि जायल तहसील के काठौती निवासी सरवनराम और डीडवाना के कैप्टन महबूब का मामला भी अटका हुआ है। सरवनराम ने 15 मई 2005 में राजौरी सेक्टर में आतंकियों से मुकाबला कर तीन आतंकी ढेर किए थे। उन्हें सेना मेडल दिया गया। कैप्टन महबूब को दो आतंकी ढेर करने पर शौर्य पदक मिला। इन्होंने उपनिवेशन आयुक्त को पत्र लिखकर जमीन देने की मांग की है।

दो शहीदों के प्रस्ताव लंबित

सूत्रों का कहना है कि सेना के कांस्टेबल पांचूराम वर्ष 2014 में शहीद हुए तो शहीद भागीरथ सिंह के परिजनों का भी इंतजार लंबा हो गया है। भागीरथ सिंह वर्ष 2009 में उड़ीसा के नक्सली मुठभेड़ में शहीद हुए थे। तब से उनके परिजन 25 बीघा नहरी जमीन का इंतजार कर रहे हैं। शहीद पांचूराम का मामला इसके बाद का है, हालांकि इसमें जमीन मिलने में देरी की वजह पारिवारिक कारण बताया जाता है। कैप्टन महबूब का मामला उनके पास पेंडिंग नहीं है। दो शहीदों के परिजनों को जमीन देने का प्रस्ताव उपनिवेशन विभाग, बीकानेर भेजा जा चुका है। शहीद अथवा सैनिकों से जुड़े कोई भी कार्य अतिशीघ्र करवाने का प्रयास करते हैं। नागौर क्षेत्र में जमीन संबंधी प्रस्ताव एक भी लंबित नहीं है, सबको दी जा चुकी है।