Nagaur जिस जमीन पर मकान देने के लिए हाउसिंग बोर्ड ने मांगे आवेदन

Nagaur जिस जमीन पर मकान देने के लिए हाउसिंग बोर्ड ने मांगे आवेदन
 
Nagaur जिस जमीन पर मकान देने के लिए हाउसिंग बोर्ड ने मांगे आवेदन
नागौर न्यूज़ डेस्क, नागौर  शहर में ताऊसर रोड स्थित जिस जमीन पर हाउसिंग बोर्ड ने 188 मकान बनाकर देने का सपना दिखाकर लोगों से आवेदन लिए थे, उस जमीन पर पिछले तीन दिन में खाई खुदवाकर किसी ने तारबंदी कर दी है। इसके बाद यहां शहर में मामले ने तूल पकड़ लिया है। जिन लोगों ने मकान के लिए आवेदन किया था, उनकी नींद उड़ गई है।हाउसिंग बोर्ड सूत्रों के अनुसार ईडब्ल्यूएस, एलआईजी, एमआईजी अ व ब श्रेणी के मकानों के लिए 1300 से अधिक आवेदन भरे गए थे। इन आवेदकों से हाउसिंग बोर्ड ने एक करोड़ से अधिक रुपए फीस के वसूले हैं।गौरतलब है कि ताऊसर रोड स्थित करीब 27 बीघा जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा केस सुप्रीम कोर्ट में जीतने के बाद राजस्थान हाउसिंग बोर्ड ने मार्च-अप्रेल 2024 में लोगों को आवास बनाकर आवंटित करने के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। हाउसिंग बोर्ड ने ‘मंडल का है यह सपना, सुंदर घर हो सबका अपना’ का स्लोगन दिया था। इसमें कुल 188 मकानों के लिए आवेदन मांगे गए।

इनमें मध्यम आय वर्ग-अ के 58 एवं मध्यम आर्य वर्ग-ब के 24 मकानों सहित आर्थिक दृष्टि से कमजोर आय वर्ग के 58 एवं अल्प आय वर्ग के 48 मकानों के लिए आवेदन मांगे। मामला शहर में चर्चा का विषय बन गया है।  इधर, भाजपा के प्रदेश महामंत्री रहे हाउसिंग बोर्ड निवासी जगवीर छाबा ने रविवार को सोशल मीडिया पर मुयमंत्री सहित संबंधित अधिकारियों को टैग करते लिखा कि जब बाड़ ही खेत खाने लगेगी तो फसल कैसे बचेगी। उन्होंने लिखा कि शहर के ताऊसर रोड पर वर्षों से खाली पड़ी करोड़ों रुपए की कीमती जमीन का सुप्रीम कोर्ट में केस जीतने के बाद हाउसिंग बोर्ड ने पिछले दिनों मकान आवंटन के लिए लोगों से आवेदन मांगे थे। इस पर सैकड़ों लोगों ने हाउसिंग बोर्ड से मकान लेने के लिए निर्धारित फीस चुकाकर आवेदन भरे। लॉटरी का समय आने पर कुछ निजी लोगों ने 27 बीघा जमीन के चारों तरफ खाई खोदकर तारबंदी कर दी है। यह काम कोई रात में नहीं किया गया है, बल्कि दिनदहाड़े किया गया है और जिमेदार अधिकारी देखते रहे। यदि यही होना था तो आवासन मंडल ने आम जनता को इस जमीन के चक्कर में क्यों उलझाया। आवासन मंडल को कोई हक नहीं बनता है कि गरीब जनता की गाढ़ी कमाई को लेकर चुपचाप बैठ जाए। उन्होंने पहले भी 2013 में घटिया निर्माण करने पर हाउसिंग बोर्ड के खिलाफ मोर्चा खोला था। वापस मोर्चा खोलने की जरूरत पड़ी तो पीछे नहीं हटेंगे।

तत्कालीन जिला कलक्टर व तत्कालीन कुचामन एडीएम पर लगाए आरोप

सांसद ने अपने पत्र में बताया कि इस जमीन के नामांतरण से जुड़ी पत्रावली में एडीएम कुचामन सिटी ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को ताक पर रखकर भू-माफियाओं को संरक्षित करने वाला जो निर्णय दिया, उस पर आक्रोश व्यक्त किया है। तत्कालीन जिला कलक्टर ने भी इस पत्रावली को किस विधिक आधार पर कुचामन ट्रांसफर किया, इसकी भी उन्होंने जांच कराने की मांग की है। सांसद ने कहा कि आवासन मंडल ने जिस भूखंड पर लोगों को मकान बनाने लिए आवेदन मांगे, उनके लिए आवेदकों ने शुल्क के साथ आवेदन भर दिए, लेकिन लॉटरी निकालने का समय आने पर माफियाओं ने खाई खोदकर तारबंदी कर दी और प्रशासन के अधिकारी मूकदर्शक बने रहे। बेनीवाल ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के समय भी कुछ राजनेताओं ने इन भूमाफियाओं की मदद की। वहीं नेता फिर से वर्तमान सरकार की सत्ता का चोला ओढ़कर भू-माफियाओं की मदद कर रहे हैं।