Jaipur 35 वर्ष की चिकित्सा के बाद दीक्षा ली और अब आत्म-कल्याण के पथ पर अग्रसर
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जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर मुनिसंघ सेवा समिति, बापू नगर की ओर से रविवार को भट्टारकजी की नसियां में दीक्षा समारोह हुआ। आचार्य चैत्यसागर के सान्निध्य में हुए आयोजन में अहमदाबाद में एक अस्पताल के मालिक डॉ. मनोज सांघवी (63) ने दीक्षा ली। अब वे क्षुल्लक सर्वजीत सागर कहलाएंगे। उनके माता-पिता व बहन भी दीक्षा ले चुके हैं।
मनीष बैद ने बताया कि गुरु वंदना के बाद केश लोंच कार्यक्रम हुआ। दीक्षा के बाद उन्हें पिच्छिका और शास्त्र भेंट किए गए। उनके वैराग्यगामी होने का दृश्य देखकर परिजन के साथ ही भक्त भाव-विह्वल हो उठे। रविन्द्र बज ने बताया कि डॉ. मनोज यूपी के एटा जिले में स्थित एक अस्पताल के ट्रस्टी रह चुके हैं। सारी जमापूंजी उन्होंने वहां असहाय तबके के नि:शुल्क इलाज के लिए समर्पित कर दी। करीब 35 वर्ष तक चिकित्सा के प्रोफेशन के बाद अब वे क्षुल्लक के रूप में आत्मकल्याण के साथ ही मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होंगे।धर्मसभा में आचार्य ने कहा कि जैन धर्म में दीक्षा का अर्थ राग से वैराग्य की ओर जाना होता है। साथ ही त्याग और संयम को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। दीक्षा कठिन परीक्षा के साथ ही आत्मीयता की आराधना है। दीक्षा के बाद आचार्य ने गोपालपुरा बाईपास, मंगल विहार स्थित जैन मंदिर के लिए विहार किया।