Jaipur भड़ल्या नवमी 15 को, अबूझ मुहूर्त के बाद 119 दिन तक विवाह समारोह प्रतिबंधित

Jaipur भड़ल्या नवमी 15 को, अबूझ मुहूर्त के बाद 119 दिन तक विवाह समारोह प्रतिबंधित
 
Jaipur भड़ल्या नवमी 15 को, अबूझ मुहूर्त के बाद 119 दिन तक विवाह समारोह प्रतिबंधित

जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर साल के पहले चरण का आखिरी सावा 15 जुलाई को भड़ल्या नवमी पर होगा। इस दिन अबूझ मुहूर्त के साथ ही 9 रेखा का श्रेष्ठ सावा भी रहेगा। इसलिए जो भी विवाह होने वाले हैं, वे इसी अबूझ मुहूर्त में हो सकेंगे। इसके दो दिन बाद 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चार माह तक विवाह समारोहों पर पूरी तरह प्रतिबंध लग जाएगा। साल के दूसरे चरण के सावे दिवाली के बाद ही शुरू हो सकेंगे, यानी करीब 119 दिन तक शादियों पर रोक रहेगी। खास बात यह है कि दिवाली के 11 दिन बाद देवउठनी एकादशी से सावे शुरू होंगे, लेकिन दिसंबर तक सिर्फ 9 श्रेष्ठ सावे रहेंगे, जिनमें विवाह समारोह हो सकेंगे।

बंशीधर ज्योतिष पंचांग के ज्योतिषाचार्य दामोदर शर्मा ने बताया कि 15 जुलाई को भड़ल्या नवमी का अबूझ सावा है और यह पंचांग का नौ गुणा श्रेष्ठ सावा भी होगा। इसके बाद 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी का अबूझ मुहूर्त रहेगा। इसके बाद 12 अक्टूबर को विजयादशमी और 29 अक्टूबर को धनतेरस का अबूझ मुहूर्त रहेगा। चातुर्मास के दौरान 1 नवंबर को दिवाली का महापर्व भी आ रहा है। यह अबूझ मुहूर्त भी रहेगा, जिसमें गृह प्रवेश और नया व्यापार व वाहन आदि खरीदना श्रेष्ठ रहेगा, लेकिन विवाह समारोह वर्जित रहेंगे। दिवाली के 11 दिन बाद 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी से विवाह समारोह फिर से शुरू हो सकेंगे। सावन की बात करें तो 22 नवंबर, 23, 25, 26 और 27 नवंबर के बाद 5 दिसंबर, 6, 7 और 11 दिसंबर को पंचांग के सावन रहेंगे। इस साल ये 9 सावन ही रहेंगे।

भडल्या नवमी पर बनेंगे 7 शुभ योग:

ज्योतिषाचार्य महेंद्र मिश्र ने बताया कि 15 जुलाई को भडल्या नवमी पर एक साथ सात शुभ योग बन रहे हैं। इन योगों में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह योग सुबह सात बजे तक बना हुआ है। इसके बाद साध्य योग का संयोग बन रहा है। नवमी पर रवि योग बन रहा है। यह योग पूरे दिन रहेगा। भडल्या नवमी पर शिव वास योग का संयोग भी है। साथ ही अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.59 बजे से दोपहर 12.55 बजे तक है। इस दिन बालव, कौल और तैंतिल योग भी बन रहे हैं।

देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू

ज्योतिषाचार्य पीतांबर प्रसाद शर्मा ने बताया कि 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी के बाद विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि शुभ कार्य नहीं किए जा सकेंगे। शुभ कार्यों के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं है। इन दिनों भक्ति करनी चाहिए। अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करें। विष्णुजी, शिवजी, श्रीकृष्ण आदि देवताओं के ग्रंथों का पाठ करें। वहीं, दिवाली के त्योहार के बाद 12 नवंबर को हरि प्रबोधिनी या देवउठनी एकादशी से फिर से शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।