Jalore पुलिस ने दो देशी पिस्तौल, 11 कारतूस तथा दो मैगजीन बरामद की
जालोर न्यूज़ डेस्क, एक बार फिर से डोडा तस्करी के नेटवर्क में जालोर की सक्रिय भूमिका करीब पांच साल बाद फिर से नजर आई है। पुलिस ने मंगलवार मध्यरात्रि को डोडा तस्करी के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 क्विंटल 51 किलो डोडा बरामद किया। पुलिस की प्रारंभिक जांच में तस्करी का कनेक्शन चितौडगढ़ से संभव लग रहा है। इस मामले में विशेष टीमों का गठन कर लिया गया है, जिसके अनुसार आरोपियों तक पहुंचने के साथ ही मुख्य सरगना तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा हैं। एसपी ज्ञानचंद्र यादव ने बताया कि खास इनपुट पर इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। जिसके तहत पुलिस देर रात निगरानी कर रही थी। पुलिस टीम इनपुट के आधार पर औद्योगिक क्षेत्र के अंतर्गत साईं विहार कॉलोनी की तरफ आने वाले कच्चे रास्ते पर पहुंची। इस दौरान पुलिस की गाड़ी को देखकर एक बिना नंबरी पिकअप ट्रोला चालक मौके से फरार हो गया। संदिग्ध लगने पर पुलिस ने वाहन की तलाशी ली तो उसमें काले रंग के प्लास्टिक के कट्टे नजर आए। तलाशी लेने पर 54 प्लास्टिक के कट्टों में डोडा पोस्त भरा हुआ पाया गया। जिसका कुल वहन 1151 किलो 680 ग्राम है। इस दौरान गाड़ी की भी तलाशी ली गई तो अंदर दो देशी कट्टे (पिस्टल), 4 मैग्जिन व 11 जिंदा कारतूस बरामद हुए। पुलिस ने प्रकरण दर्ज करने के साथ आरोपियों तक पहुंचने के लिए पड़ताल शुरु की। पुलिस के अनुसार गाड़ी में दो आरोपी थी, जिनकी तलाश की जा रही है। कार्रवाई को सीआई जसवंतसिंह के नेतृत्व में उप निरीक्षक भंवराराम, हैड कांस्टेबल महेंद्रसिंह, रणजीतसिंह समेत पुलिस टीम ने अंजाम दिया।
कार्रवाई बड़ी, नेटवर्क पुराना
इस साल की जालोर पुलिस की डोडा तस्करी की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। मामले में पुलिस ने डोडा तस्करी की चेन के इनपुट पर इस कार्रवाई को अंजाम दिया। पुलिस की प्रारंभिक जांच में तस्करी की इस चेन की एक कड़ी चितौडगढ़ से जुड़ी होने की जानकारी सामने आ रही है। दूसरी तरफ इस डोडे की खेप की बाड़मेर जिले में सप्लाई होनी थी। पुलिस बिना नंबर की इस गाड़ी के चेसिस नंबर, सीसीटीवी फुटेज, साइबर एक्सपर्ट टीम के आधार पर आरोपियों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। बता दें इससे पूर्व 26 जुलाई को जालोर पुलिस टीम ने भीलवाड़ा के दो युवकों को 1 किलो 60 ग्राम अफीम के साथ पकड़ा था। इस तस्करी का नेटवर्क भी बाड़मेर से जुड़ा हुआ था, जबकि आरोपी भीलवाड़ा से बाइक पर जालोर तक पहुंचे थे।
इसलिए जालोर प्वाइंट
मध्यप्रदेश के सटते क्षेत्र, अफीम बुवाई के एरिया में चितौडगढ़, प्रतापगढ़ में मुख्य रूप से अफीम की खेती होती है। इन्हीं एरिया से अक्सर अफीम की तस्करी भी होती है। अफीम की पैदावार वाले एरिया ही डोडा तस्करी के मुख्य प्वाइंट भी है। इसी तरह सटते हुए मध्यप्रदेश के एरिया भी अफीम की पैदावार और तस्करी के गढ़ है। पश्चिमी राजस्थान में मुख्य रूप से बाड़मेर, सांचौर जिले में अफीम और डोडा की अब भी खूब डिमांड है। अक्सर चितौडगढ़, प्रतापगढ़ की तरफ से तस्कर बाड़मेर पहुंचने के लिए सिरोही जिले की सीमा या फिर उदयपुर का ग्रामीण क्षेत्र और उसके बाद देसूरी, सांडेराव उसके बाद तखतगढ़ के कच्चे रास्तों का उपयोग करते हुए जालोर तक पहुंचते हैं। उसके बाद जालोर होते हुए ही कच्चे रास्तों से बाड़मेर या सांचौर तक पहुंचते हैं। इस मामले में भी पुलिस ने तस्करी की गाड़ी साईं विहार के पास से भील बस्ती के पास से पकड़ी। संभावना है कि पुलिस के पीछा करने या गश्त की आशंका पर तस्करों ने ऐसा किया।
एस्कोर्टिंग की भी संभावना
पुलिस के अनुसार इस पूरे मामले में तस्करों द्वारा एस्कोर्टिंग भी की जा रही थी। ऐसे आशंका है, जिसके चलते आरोपी कच्चे रास्तों से होकर निकलने की फिराक में थे। लेकिन पकड़े गए। तस्कर लोडेड हथियार लेकर चल रहे थे। ऐसे में तस्करों का बड़ा सक्रिय गिरोह इस मामले में संलिप्त होने की संभावना है। पुलिस तस्करों की तलाश के प्रयास के साथ अवैध हथियार बदामदगी के इस मामले में जांच में जुटी है। हालांकि तस्करी और अवैध हथियार बरामदगी के मामले में पुलिस कार्रवाई के पुराने रिकॉर्ड देखें तो उसमें पुलिस के हाथ खाली ही है।