Jalore छोटी जगह में बनेंगे जर्मन तकनीक के इंडोर पावर प्लांट, तारों की उलझन समाप्त

Jalore छोटी जगह में बनेंगे जर्मन तकनीक के इंडोर पावर प्लांट, तारों की उलझन समाप्त
 
Jalore छोटी जगह में बनेंगे जर्मन तकनीक के इंडोर पावर प्लांट, तारों की उलझन समाप्त

जालोर न्यूज़ डेस्क, अब जोधपुर डिस्कॉम शहर की घनी कॉलोनियों और तंग गलियों में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए जर्मन तकनीक के गैस इंसुलेटेड सब स्टेशन (जीआईएस) तैयार करेगा। फिलहाल जोधपुर डिस्कॉम के अधीन 10 जिलों में बिजली प्लांट खुले मैदान में चल रहे हैं. इनके लिए बड़े स्थान की आवश्यकता होती है। जर्मन तकनीक के इन जीआईएस में ओसीबी-वीसीबी, बस, ग्रिड ऑपरेटिंग सिस्टम असेंबल और इनबिल्ट होगा। इन्हें पावर ट्रांसफार्मर के माध्यम से संचालित किया जा सकता है। इससे शहर में 33/11 केवी सप्लाई आसानी से घरेलू सप्लाई में बदल जाएगी। इसमें मैनपावर की जरूरत कम होगी और मेंटेनेंस भी नाममात्र का होगा. इसमें कोई तार का जाल नहीं होगा.

जीआईएस कुछ इस तरह होगा

सल्फर हेक्सा फ्लोराइड गैस (एसएफ6) का उपयोग मुख्य रूप से जीआईएस में प्राथमिक इन्सुलेटर के रूप में किया जाएगा। हानिरहित होने के साथ-साथ यह हाई वोल्टेज को नियंत्रित करने, पावर ट्रांसफार्मर को ठंडा रखने और सिस्टम को कूलिंग प्रदान करने का काम करेगा। सरदार क्लब के बाहर डिस्कॉम को रियासत काल में आवंटित भूमि पर डिस्कॉम का एक कमरा बना हुआ है। प्लॉट 50x44 साइज का है. इसमें एक कमरा बनाकर उसमें जीआईएस बनाया जाएगा। इससे एयरफोर्स और आसपास की कॉलोनियां जुड़ जाएंगी।

न्यू रोड जनता स्वीट होम का प्लॉट 45x22 साइज का है। यहां एक कमरा बनाकर उसमें इनडोर जीआईएस बनाया जाएगा। पूरा सिस्टम कम्प्यूटरीकृत होगा। इससे नई सड़क, घंटाघर, त्रिपोलिया बाजार, बंबा, स्टेडियम तक का क्षेत्र जुड़ जाएगा।
पंचमुखी बालाजी मंदिर की पहाड़ी पर चढ़ाई शुरू होने पर सिटी पुलिस 25 गुणा 30 साइज का एक कमरा बनाएगी। यह सिटी पुलिस, राखी हाउस, सराफा बाजार से लेकर जालोरी गेट तक के कुछ हिस्सों को जोड़ेगा। साथ ही किला और मंडी जीएसएस के ब्रेकर भी जोड़े जाएंगे। ताकि बिजली गुल होने पर दूसरी लाइन से बिजली चालू की जा सके।
झालामंड में भूमि आवंटन को लेकर कागजी कार्रवाई लगभग तय हो चुकी है। प्लॉट आवंटित होते ही यहां प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इससे झालामंड, नवदुर्गा कॉलोनी व आसपास की कॉलोनियां जुड़ेंगी।
यह सिस्टम 25x50 प्लॉट में भी लगाया जा सकता है। इसमें दो पावर ट्रांसफार्मर के साथ इनबिल्ट उपकरण हैं। सभी प्रणालियाँ एक कमरे में रहती हैं। ठंडा करने के लिए इसमें सल्फर हेक्सा फ्लोराइड गैस छोड़ी जाती है। यदि इसी तरह का 33/11 केवी जीएसएस खुले प्रांगण में बनाया जाए तो इसकी लागत 4-5 करोड़ रुपए आएगी। आता है, लेकिन जगह ज्यादा घेरता है.