Jhunjhunu के जिला पुस्तकालय में है संविधान की मूल कृति की कॉपी

Jhunjhunu के जिला पुस्तकालय में है संविधान की मूल कृति की कॉपी
 
Jhunjhunu के जिला पुस्तकालय में है संविधान की मूल कृति की कॉपी

झुंझुनू न्यूज़ डेस्क, झुंझुनू  यदि आपको भारतीय संविधान की मूल कृति (संशोधन से पहले की) की प्रतिलिपि देखनी है तो शहर में गांधी चौक से कारूंडिया मार्ग पर जिला पुस्तकालय में चले आइए। यहां दो प्रतिलिपियां रखी हुई है। जिला पुस्तकालय के कार्यवाहक अध्यक्ष डीपी सैनी ने बताया कि एक कृति काफी पुरानी है, जबकि एक कृति अभी आई है। सैनी ने बताया कि इसके अधिकतर पन्ने पर नीचे की तरफ प्रेम लिखा हुआ है। यह अभी भी हस्तलिखित जैसा लगता है। सैनी ने बताया कि संविधान अंग्रेजी भाषा में लिखा है, इसलिए चित्रों की आवश्यकता महसूस की गई। जबलपुर के व्यौहार राममनोहर ने पहले चित्र में सिंधु घाटी की सभ्यता के प्रतीक वृषभ को शामिल किया. उन्होंने अश्व का चित्र भी बनाया, जो गति का घोतक है. इसी प्रकार कई चर्चित और प्राचीन स्थानों के लगभग 10 चित्र संविधान में शामिल किए गए।जबलपुर के व्यौहार राममनोहर सिन्हा ने इसके बदले कोई मेहनताना नहीं लिया था। चित्र बनाने से पहले अपने गुरु के आदेश पर संस्कृति, विरासत व धरोहर देखने के लिए भारत भ्रमण किया था। अपने हस्ताक्षर की जगह केवल राम लिखा था। झुंझुनूं में रखी कृति पर नीचे की तरफ राम लिखा हुआ है।

जिला पुस्तकालय में होगी प्रदर्शनी एवं संगोष्ठी

झुंझुनूं. संविधान दिवस पर जिला प्रशासन और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के संयुक्त तत्वावधान में विभिन्न आयोजन मंगलवार को किए जाएंगे। जिला जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु सिंह ने बताया कि गांधी चौक स्थित जिला पुस्तकालय में संविधान दिवस के उपलक्ष्य में प्रदर्शनी एवं संगोष्ठी का कार्यक्रम सुबह 11.30 बजे आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अतिरिक्त जिला कलक्टर अजय कुमार आर्य होंगे।

-भारत के संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया। यह एक ऐतिहासिक दिन था और इसी दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

- भारत के संविधान को बनाने में 2 साल, 11 महीना, 18 दिन का समय लगा।

- भारतीय संविधान में नागरिकों को छह मौलिक अधिकार और 11 मौलिक कर्तव्य दिए गए हैं।

- भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। तब से ही भारत एक गणतंत्र देश बना था।

-डॉ॰ भीमराव अंबेडकर को संविधान का निर्माता माना जाता है।

-प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने संविधान की मूल कॉपी हाथ से लिखी थी। इसे लिखने में उन्हें छह महीने लगे थे। उन्होंने इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया था।