Karoli अस्पताल का ब्लड बैंक खाली, रक्त रूपी संजीवनी की जरूरत
गौरतलब है कि राजकीय सामान्य चिकित्सालय में वर्ष 1997 में ब्लड बैंक के लिए पहली बार अनुज्ञा पत्र जारी हुआ था, लेकिन इस अवधि के बीच अधिकांश समय ब्लड बैंक में रक्त की कमी रही है। कभी-कभी कहीं शिविर लगते हैं तो ब्लड में रक्त यूनिट का यह आंकड़ा कुछ बढ़ जाता है। बड़े नेताओं के जन्म दिन के अवसर पर गत वर्षों में लगे शिविरों के दौरान जरुर बैंक में पर्याप्त मात्रा में रक्त आया तो रोगियों को भी राहत मिली थी, लेकिन पिछले लबे समय से ब्लड बैंक में रक्त की कमी बनी है। ब्लड बैंक की क्षमता करीब 600 यूनिट रक्त है, लेकिन ऐसे बहुत कम मौके आए हैं, जब पर्याप्त रक्त की उपलब्धता रही हो। अब रक्त की कमी से ब्लड बैंक के फ्रिज खाली पड़े हैं।
लेने वाले अधिक, देने वाले कम
चिकित्सालय सूत्र बताते हैं कि करौली में रक्तदान शिविर कम लगते हैं, जिस कारण ब्लड बैंक में रक्त की कमी रहती है। चिकित्सालय सूत्र बताते हैं कि ब्लड बैंक से ब्लड लेने वालों की संया अधिक रहती है, लेकिन उसके बदले रक्त नहीं मिलता। ऐसे में ब्लड बैंक में रक्त का टोटा बना रहता। ब्लड रखने के फ्रिज खाली ही पड़े रहते हैं।
हिण्डौन से मिलता रहा है सहारा
जिले में हिण्डौन शहर रक्तदान शिविर के मामले में अव्वल रहा है। यहां पर विभिन्न संगठनों की ओर से अलग-अलग मौकों पर रक्तदान शिविरों का आयोजन होता रहा है। इन शिविरों में रक्तदान के प्रति रक्तदाताओं में होड़ भी रहती है। हिण्डौन में लगने वाले शिविरों से बड़ी मात्रा में करौली की ब्लड बैंक में रक्त आता रहा है, जिससे ब्लड बैंक को संबल मिलता रहा है। हालांकि करौली में भी रक्तदाताओं की कमी नहीं है। शिविरों का आयोजन करौली में भी हुआ है, लेकिन हिण्डौनसिटी के मुकाबले यहां पर काफी कम यूनिट ही रक्तदान हुआ।