Karoli हिंडौन में केवीएसएस दवा दुकानों पर 5 करोड़ रुपए का बकाया
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करौली न्यूज़ डेस्क, करौली जिले में क्रय-विक्रय सहकारी समिति केवीएसएस की ओर से संचालित की जा रही दवा दुकानें दवाइयों के भुगतान के अभाव में उधारी के बोझ से दबती जा रही हैं। केवीएसएस को समय पर भुगतान नहीं मिल पाने से न केवल समिति की आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है, बल्कि दुकानों पर दवाइयों का टोटा पड़ने से दुकानों का संचालन कर पाना भी मुश्किल भरा हो रहा है। वहीं इन स्थितियों के चलते कर्मचारियों-पेंशनर्स को भी परेशानी हो रही है, क्योंकि उन्हें पर्याप्त दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं। वर्तमान में करौली और हिण्डौनसिटी में केवीएसएस का करीब पांच करोड़ रुपए का भुगतान बकाया हो गया है।
राज्य सरकार की ओर से कर्मचारियों-पेंशनर्स को आरजीएचएस के तहत सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से क्रय-विक्रय सहकारी समिति की ओर से सरकारी अस्पतालों में दवा दुकानें संचालित की जा रही हैं। लेकिन केवीएसएस को दवाओं का समय पर भुगतान नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते दवा दुकानों का संचालन मुश्किलभरा हो गया है। स्थिति यह है, कि केवीएसएस की इन दवा दुकानों पर पर्याप्त दवा तक उपलब्ध नहीं हैं। गौरतलब है कि केवीएसएस की ओर से करौली जिला मुख्यालय सहित हिण्डौनसिटी, टोडाभीम और नादौती में दवा दुकानों का संचालन किया जा रहा है। केवीएसएस सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार द्वारा आरजीएचएस योजना लागू करने के बाद केवीएसएस की दवा दुकानों और अन्य मेडिकल स्टोर्स के लिए अधिकृत किया था। अक्टूबर 2021 से केवीएसएस की ओर से आरजीएचएस कार्डधारियों (राज्य कर्मचारी-पेंशनर्स) को दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
दवा फर्मों ने खींचे हाथ
केवीएसएस को भुगतान नहीं मिल पाने से उन्हें भी दवा फर्म उधार में दवा देने से इनकार कर रही हैं। केवीएसएस जिन दवा फर्मों से दवा की आपूर्ति कराती है, उनकी भी केवीएसएस पर उधारी बढ़ गई है, जिससे उन दवा फर्मों ने अब उधार में दवा देने से हाथ पीछे खींच लिए हैं। नतीजतन दवा दुकानों पर पर्याप्त दवाओं की उपलब्धता में दाम (बजट) रोड़ा बना हुआ है और पेंशनर्स-कर्मचारियों को इन दुकानों से समुचित दवा नहीं मिल पा रही हैं। सूत्रों के अनुसार समय पर भुगतान नहीं मिल पाने से केवीएसएस की ओर से होलसेलर फर्मों से दवाएं उधार लेनी पड़ रही हैं, लेकिन लम्बे समय तक होलसेलर फर्मों को भी भुगतान नहीं हो पाने से स्टॉकिस्ट द्वारा भी पर्याप्त मात्रा में दवाओं की आपूर्ति करने में हाथ खड़े किए जा रहे हैं। केवीएसएस सूत्र बताते हैं कि मांग के अनुसार दवा नहीं आ पाती। हालांकि कर्मचारी-पेंशनर तो अन्य अधिकृत दवा दुकान से दवा ले लेते हैं, लेकिन एक जगह ही पूरी दवा नहीं मिल पाने से उन्हें भी परेशानी तो होती ही है।