Udaipur कुर्की का मतलब और रिसीवर की नियुक्ति, पीड़ित पक्ष कोर्ट से ले सकता है स्टे

Udaipur कुर्की का मतलब और रिसीवर की नियुक्ति, पीड़ित पक्ष कोर्ट से ले सकता है स्टे
 
Udaipur कुर्की का मतलब और रिसीवर की नियुक्ति, पीड़ित पक्ष कोर्ट से ले सकता है स्टे

उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर प्रशासन ने कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए सोमवार देर रात विवादित स्थल सिटी पैलेस स्थित बड़ी पोल से धूणी और जनाना महल जाने के रास्ते और धूणी वाले स्थान को कुर्क कर लिया। घंटाघर थानाधिकारी को रिसीवर नियुक्त किया। जानते हैं, इसके मायने क्या हैं?जिला और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के पास शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई तरह की पावर होती है। एडीएम सिटी वार सिंह ने सोमवार को विवाद बढ़ा तो भारतीय नागरिक संहिता सुरक्षा के सेक्शन 163 के अंतर्गत सिटी पैलेस की विवादित संपत्ति कुर्क की।

रिसीवर नियुक्त किया। इसका मतलब यह है कि अब कुर्क संपत्ति पर सिर्फ रिसीवर का ही अधिकार होगा यानी ये इलाका उनके अधिकार में होगा। वही तय करेंगे कि कौन आएगा और कौन नहीं। नोटिस में लिखा है कि दोनों पक्षों को 27 नवंबर को अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपना पक्ष पेश करना है। अगर एडीएम कोर्ट दोनों पक्षों के जवाब से संतुष्ट होती है तो आगे इस पर अपना निर्णय देगी। यह नोटिस 2 महीने तक ही मान्य रहता है।

सरकार की अनुमति से आगे बढ़ाई जा सकती है मियाद

इसके बाद इसे ज्यादा से ज्यादा 6 महीने के लिए और बढ़ा सकते हैं लेकिन इसके लिए राज्य सरकार से स्पेशल परमिशन लेनी होती है। इधर जिसकी संपत्ति कुर्क है, वह जिला कोर्ट से इस पर स्टे ला सकता है। लेकिन वहां भी प्रशासन अपना पक्ष रख सकता है। दोनों की सुने जाने के बाद ही कोर्ट स्टे का निर्णय करता है।