यहाँ पांच पीढ़ियों से मुस्लिम कारीगर तैयार कर रहे हैं रावण के पुतले, जानें कहानी
तीन अक्टूबर से मंदिर में रामलीला की शुरुआत
हरचरण लेकर और महामंत्री अनिल खुराना ने बताया कि तीन अक्टूबर से मंदिर में रामलीला की शुरुआत होगी। उपाध्यक्ष राजीव मनचंदा ने बताया कि नवविवाहित जोड़ों के साथ ही कई परिवार नवजात शिशु के साथ दशहरे के दिन मंदिर में पूजा के लिए आते हैं। यहां बनने वाले दशानन के पुतलों में कोई पुराना सामान इस्तेमाल नहीं होता। इस बार दशहरे पर रावण का राजशाही स्वर्ण मुकुट खास होगा।
‘हमारे लिए जैसे अल्लाह, वैसे ही राम’
चांद मोहम्मद ने बताया कि पत्नी और बच्चों सहित पूरा परिवार डेढ़ महीने तक राम मंदिर में ही रहता है। स्नान के साथ ही अन्य नियमों की पालना के साथ ही सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। समय मिलने पर रामलीला भी देखते हैं। उन्होंने बताया कि बच्चे भी रामलीला के सभी पात्रों को जानने लगे हैं। हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्म एक जैसे हैं। जैसे हमारे लिए अल्लाह हैं ऐसे ही हमारे लिए राम है।
68 साल पहले बनाया था 20 फीट ऊंचा रावण, 10 रु. का मिला इनाम
मनचंदा ने बताया कि 68 साल पहले दशहरे मेले की शुरुआत हुई थी। तभी से रामलीला व रावण दहन का आयोजन हो रहा है। चांद मोहम्मद ने बताया कि पूर्वजों ने वर्ष 1966 में 20 फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया था। इसके लिए बतौर पारिश्रमिक 250 रुपए मिले थे। इनाम के तौर पर 10 रुपर अलग से मिले थे।