Nagaur जिम्मेदारों की मिलीभगत का काला खेल निगल गया बख्तसागर झील

Nagaur जिम्मेदारों की मिलीभगत का काला खेल निगल गया बख्तसागर झील
 
Nagaur जिम्मेदारों की मिलीभगत का काला खेल निगल गया बख्तसागर झील
नागौर न्यूज़ डेस्क,   शहर के प्रमुख पारंपरिक जलस्रोतों में शामिल बख्तासागर तालाब को भी अतिक्रमियों ने निगल लिया है। अब तालाब का काफी कम हिस्सा बचा रह गया। तालाब के केचमेंट एरिया के साथ इसके मूल स्वरूप से हुई छेड़छाड़ के कारण तालाब काफी छोटा हो गया है। प्रशासन के जिम्मेदारों की कथित मिलीभगत के कारण तालाब अपने वजूद को जिंदा रखने के लिए संघर्ष कर रहा है।मिलीभगत के काले खेल में बख्तासागर तालाब के कैचमेंट एरिया में अवैध कब्जे, फिर पक्के निर्माण होते रहे। इसके बाद भी जिम्मेदारों की नींद नहीं खुली। बताया जाता है कि सारे अवैध निर्माण जिम्मेदारों की निगरानी में उनकी शह पर किए गए। इस कारण पूरा कैचमेंट एरिया लगभग समाप्त हो गया, लेकिन प्रशासन के जिम्मेदार सोते रहे। तालाब का न केवल भोगौलिक ढांचा गड़बड़ा गया, बल्कि इसके आसपास हुए निर्माणों की वजह से जलबंध एरिया भी खत्म हो गया।

तालाब में करणी कॉलोनी, राठौड़ी कुआं एवं व्यास कॉलोनी से बरसात का पानी बहते हुए प्रतापसागर तालाब पहुंचता था। इसके बाद यह पानी बख्तासागर तालाब पहुंचता था। बताते हैं कि पहले इसमें पानी आवक के रास्तों की संख्या दर्जनों में थी। अब सभी आवक लगभग बंद हो चुके हैं। इस कारण अब तालाब पूरा कभी भर ही नहीं पाया।

नहीं दिया ध्यान

प्रावधान के अनुसार संबंधित क्षेत्रों के हल्का पटवारियों की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने एरिया में रोजाना सर्वे करेंगे। इस दौरान राजकीय भूमि या तालाब आदि पर कहीं अतिक्रमण का मामला पाए जाने पर इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को देंगे। साथ ही वे पक्की रिपोर्ट भी तैयार करेंगे, ताकि संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जा सके। इसमें विशेष बात यह रही कि तालाबों के इर्द-गिर्द निर्माण होते रहे, और पटवारी सोते रहे। जानकारों की माने तो किसी भी पटवारी ने इस तरह की रिपोर्ट ही नहीं दी। तालाब के कैचमेंट एरिया में निर्माण होने की कोई जानकारी नहीं है, और न ही इस तरह की कोई शिकायत अभी फिलहाल आई है। फिर भी इसकी जांच करा ली जाएगी। प्रावधानों का पूरा पालन कराया जाएगा।