Bhilwara राजमेस कॉलेज में लागू होंगे राजस्थान सेवा नियम

Bhilwara राजमेस कॉलेज में लागू होंगे राजस्थान सेवा नियम
 
Bhilwara राजमेस कॉलेज में लागू होंगे राजस्थान सेवा नियम

भीलवाड़ा न्यूज़ डेस्क, राज्य सरकार की ओर से बुधवार को जारी बजट में घोषणा की गई कि राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसायटी (राजमेस) के मेडिकल कॉलेजों में राजस्थान सेवा नियम (आरएसआर) लागू किए जाएंगे। इससे अब राजमेस से जुड़े प्रदेश के 17 मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी दूर हो जाएगी। आरएसआर लागू होने से फैकल्टी को सरकारी सेवा का दर्जा मिलेगा, पीएल नकदीकरण होगा, अनुकंपा नियुक्ति मिलेगी, ग्रेड पे का लाभ, सेवा सुरक्षा का लाभ, पोस्टमार्टम भत्ता का लाभ, ओपीएस का लाभ मिलेगा। इन लाभों के चलते प्रदेश में संचालित राजमेस के 17 मेडिकल कॉलेजों में नियमों में पारदर्शिता आएगी और फैकल्टी की कमी पूरी हो सकेगी।

आरएमसीटीए भीलवाड़ा एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र वर्मा व सचिव डॉ. मनीष पोकरा ने बताया कि आरएसआर लागू होने पर फैकल्टी द्वारा आतिशबाजी की गई और केक काटा गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री व अस्पताल अधीक्षक का आभार जताया गया। इस दौरान डॉ. रजनी गौड़, डॉ. दौलत मीना, डॉ. राजेंद्र, डॉ. राकेश गर्ग आदि मौजूद थे। किस मेडिकल कॉलेज में कितनी फैकल्टी की कमी : भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज में 172 में से 102, पाली में 188 में से 90, बूंदी में 88 में से 25, बाड़मेर में 158 में से 50, डूंगरपुर में 172 में से 82, सीकर में 98 में से 51, भरतपुर में 209 में से 78, चूरू में 188 में से 92, करौली में 85 में से 6, अलवर में 50 में से 22, श्रीगंगानगर में 74 में से 22, धौलपुर में 80 में से 15, चित्तौड़गढ़ में 74 में से 28, सिरोही में 87 में से 11, झालावाड़ में 158 में से 125, हनुमानगढ़ में 85 में से 16 और दौसा मेडिकल कॉलेज में 88 में से 35 टीचिंग फैकल्टी की कमी है। इन कॉलेजों में 6 हजार से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।

17 मेडिकल कॉलेजों में 1858 में से 983 फैकल्टी के पद खाली: सरकार ने प्रदेश में राजमेस से संबंधित 17 नए मेडिकल कॉलेज खोले हैं, लेकिन फैकल्टी यहां आने में रुचि नहीं ले रही है। इन कॉलेजों और छात्रावासों के निर्माण और अन्य संसाधन जुटाने पर 4 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुके हैं, लेकिन राजमेस सोसायटी द्वारा संचालित इन कॉलेजों के नियम ऐसे बनाए गए हैं कि यहां के फैकल्टी का वेतन सरकारी मेडिकल कॉलेजों से काफी कम है। यही वजह है कि इन कॉलेजों में टीचिंग फैकल्टी के पद खाली हैं।