Rajsamand पर्युषण महापर्व के तहत तीसरे दिन मनाया सामामिक दिवस

Rajsamand पर्युषण महापर्व के तहत तीसरे दिन मनाया सामामिक दिवस
 
Rajsamand पर्युषण महापर्व के तहत तीसरे दिन मनाया सामामिक दिवस
राजसमंद न्यूज़ डेस्क, राजसमंद साध्वी लाब्धियशाजी, साध्वी गौरव प्रभा, साध्वी कौशल प्रभा के सान्निध्य तथा तेरापंथ युवक परिषद् के तत्वावधान में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् द्वारा निर्देशित ’अभिनव सामायिक का प्रयोग भिक्षु बोधि स्थल में रखा गया।साध्वी लब्धियशा ने कहा कि सामायिक बन्धन नहीं, बन्धनों से मुक्ति है। भाग्य से भगवान बनने की युक्ति है। साध्वी कौशल प्रभा ने कहा सामायिक से 7.8 कर्मों की निर्जरा होती है। रात्रिकालिन कार्यक्रम में साध्वी श्रीजी ने कहा कि हमारी श्रद्धा वृक्ष के पत्ते की तरह नहीं जो हवा के झोंके से हिल जाए। सुमेरु पर्वत की तरह झंझावातों में भी अडोल रहे। साध्वी गौरव प्रभा ने तेरापंथ की यशस्वी साध्वी समाज का इतिहास विस्तार से बताया। महिला मण्डल ने सुमधुर गीत की प्रस्तुति दी।

नाथद्वारा श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अहिल्या कुंड जैन स्थानक पर पर्युषण पर्व के अवसर पर साध्वी कमलप्रभा ने दया व्रत के अवसर पर कहा कि मां शब्द जितना छोटा है उतना ही विराट है।उन्होंने कहा कि एक मां जन्म देने वाली है एक धरती मां होती है, जो जगत की मां है, प्राणियों का आधार होती है।इस मां शब्द में ही ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का निवास है। उन्होंने कहा कि हर सुबह माता-पिता और बड़े-बुजुर्गों को प्रणाम करना चाहिए, उनका सम्मान करना, कहना मानना हमारा अनिवार्य संस्कार है। उन्होंने कहा कि जिन मां-बाप ने हमें अंगुली पकड़ कर चलना और जीना सिखाया, बुढ़ापे में हमें भी उनका सहारा बनना है, यही जीवन का सत्कर्म है। साध्वी लब्धि प्रभा ने कहा कि पर्युषण का आज का दिन ज्ञान दर्शन चरित्र की आराधना का संदेश दे रहा है। उन्होंने कहा कि बाकी त्यौहार में तो शरीर का शृंगार किया जाता है, लेकिन पर्युषण पर्व में आत्मा का श्रृंगार किया जाता है। मंगलवार को दया दिवस मनाया गया, जिसमें लगभग 150 श्रावक-श्राविकाओ ने दया तप की आराधना की। 14 वर्षीय वीरल डागलिया ने चार, भाविका व निविका मेहता ने तेले के प्रत्याख्यान लिए।

‘अध्यात्म के शिखर की साधना सामायिक’

तेरापंथ सभा भवन में साध्वी मंजूयशा ठाणा 4 के सान्निध्य में सामायिक दिवस मनाया गया। साध्वी ने पूरी विधि पूर्वक यानी त्रिपदी वंदना, 10 मिनट जप का प्रयोग, कुछ देर के लिए प्रेक्षाध्यान का प्रयोग, बाकी का समय स्वाध्याय में पूरा किया। उन्होंने 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर के पूर्व भव क्रमश 1, 2, 3, 16 वें, 17वें तक की प्रेरणापद घटनाओं को बताया। सामायिक का अर्थ है समता भाव में रमण करना। सामयिक में कषाय का विसर्जन हो, जिससे व्यक्ति मानव से महामानव बनता है। समता की साधना से हम अपनी इंद्रियों और मन को अंतर्मुखी बना स्थिर एवं पूर्ण आनंदमय बना सकते हैं। साध्वी चिन्मय प्रभा, इंदु प्रभा, साध्वी मानस प्रभा ने गीत व भाषण द्वारा अपनी अभिव्यक्ति दी।