Pratapgarh कांठल व मालवा में पर्यावरण के पर्याय बने श्याम सिंह, जागरूकता का दे रहे संदेश
तीन दशक पहले लगाए थे विभिन्न प्रजातियों के पौधे अब बन गए विशाल पेड़
तीन दशक से अधिक समय पहले लगाए गए पौधे आज विशाल पेड़ बन गए हैं। उन्होंने गांव के मध्य में पीपल का पौधा लगाया था। जो आज पेड़ गया है। गांव के बाहर बरगद भी काफी घना हो गया है, जबकि नीम के तो कई पेड़ हैं, जो उनके द्वारा लगाए गए हैं। विशेषकर नीम, पीपल, बरगद, शीशम, गुलमोहर, कचनार, मोरछल, करंज, खिरनी व अन्य किस्मों के पेड़ बन चुके हैं।
बीज एकत्रित कर देते है पौध शालाओं को
चूंडावत ने गत तीन वर्षों से एक और अभियान चलाया हुआ है। जिसमें वे पेड़ों के बीजों को एकत्रित कर रहे है। इन बीजों से अपने यहां नर्सरी तैयार करते है। इन पौधों को आवश्यकता वाले लोगों को नि:शुल्क वितरण करते है। इसके अलावा नर्सरियां तैयार करने वालों को भी नि:शुल्क उपलब्ध कराते है। उन्होंने गत वर्षों में संकल्प लिया था। वे रोजाना एक पौधा लगाएंगे। इसके लिए या तो खुद ही खाली स्थान पर पौधा लगाएंगे या ग्रामीणों को देंगे, जो उनकी देखभाल में पौधा रोपते है।
मूक पशु-पक्षी बने प्रेरणास्रोत
शिक्षक चूण्डावत कृषि से जुड़े हुए हैं। तीन दशक पहले पक्षियों व पशुओं को गर्मी में इधर-उधर भटकते देखते हुए उनके मन में विचार आया कि क्यों न वे अधिक से अधिक पौधे लगाएं, जिससे मूक पशु-पक्षियों के लिए आश्रय स्थल मिले। इसके बाद उन्हाेंने पौधे लगाने और संरक्षण का बीड़ा उठाया। वे पौधे लगाने के बाद सुरक्षा के लिए कांटे लगाना और रोजाना पानी देना शुरू किया।