सोशल मीडिया के जरिए महिलाओं की निजी जिंदगी में झांकने पर अब होगी सख्त कार्रवाई

सोशल मीडिया के जरिए महिलाओं की निजी जिंदगी में झांकने पर अब होगी सख्त कार्रवाई
 
सोशल मीडिया के जरिए महिलाओं की निजी जिंदगी में झांकने पर अब होगी सख्त कार्रवाई

जयपुर न्यूज़ डेस्क, महिलाओं की निजता और उसके वैयक्तिक (प्राइवेट) कार्यकलापों में ताकझांक और किसी दूसरे के नाम से फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाने वालों की अब खैर नहीं। महिलाओं की निजता और निजी जीवन में ताकझांक करने पर पुरुष ही नहीं, महिलाओं के खिलाफ भी मामला दर्ज हो सकेगा। इसी तरह फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाकर किसी दूसरे के नाम से धोखाधड़ी करने अथवा फर्जी अकाउंट के जरिए किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वालों पर कार्रवाई के लिए कानूनी प्रावधानों को और स्पष्ट किया है। साइबर अपराध को लेकर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में भी प्रावधान जोड़े गए हैं। पहले भारतीय दंड संहिता में साइबर अपराध को लेकर प्रावधान नहीं थे। इन अपराधों में कार्रवाई के लिए सूचना-प्रौद्योगिकी कानून ही था।

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महिला के वैयक्तिक कार्य और उसके गलत फोटो खींचने या वीडियो बनाने पर सजा होगी, वहीं सेक्सटॉर्शन जैसी गतिविधियों को अंजाम देना सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत अपराध होगा। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज की कूटरचना भी अपराध माना गया है, जिसमें किसी के नाम से फर्जी फेसबुक, एक्स, वाट्सऐप अकाउंट बनाना भी शामिल होगा। विशेषज्ञों के अनुसार नए कानूनों में शामिल साइबर अपराध रोकने और डिजिटल प्रणाली का उपयोग बढ़ाने वाले प्रावधान देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़े बदलाव लाएंगे।

डिजिटल डिवाइस का उपयोग भी

अब आप बिना पुलिस स्टेशन जाए ऑनलाइन जीरो या ई-एफआईआ दर्ज करा सकेंगे, वहीं भविष्य में एसएमएस के माध्यम से समन भेजने की तैयारी भी की जा रही है। इसके अलावा सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की वीडियोग्राफी आवश्यक होगी।

बीएनएस-2023: साइबर अपराध रोकने वाले प्रावधान

तस्करी तो उम्रकैद और 10 लाख रुपए तक जुर्माना

धारा 111 (1) व (2)- किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, संपत्ति पर कब्ज़ा, हत्या की सुपारी, आर्थिक अपराध, साइबर अपराध, व्यक्तियों, दवाओं, हथियारों या अवैध वस्तुओं या सेवाओं की तस्करी, वेश्यावृत्ति या फिरौती के लिए मानव तस्करी। हिंसा, हिंसा की धमकी या प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ प्राप्त करने के लिए गैरकानूनी तरीके अपनाने को संगठित अपराध माना जाएगा। ऐसे अपराध के लिए उम्रकैद और 10 लाख रुपए तक जुर्माना।

धारा 112 (1) एटीएम उखाड़ना या उसमें स्कीमर लगाना, चोरी, स्नैचिंग, धोखाधड़ी, टिकटों की कालाबाजारी, जेब काटना, सट्टेबाजी या जुआ, परीक्षा प्रश्नपत्रों की बिक्री जैसे कार्य छोटे संगठित अपराध माने जाएंगे, जिनके लिए एक से सात साल तक सजा और जुर्माना।

भड़काने वाले संदेश तो सात साल से उम्रकैद तक और जुर्माना

धारा 153- विध्वंसक या अलगाववादी गतिविधियों या देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को समाप्त करने के लिए उत्तेजित करने, भड़काने या उकसाने वाले संदेश या वीडियो जारी करना, जिसमें सोशल मीडिया पर जारी संदेश या वीडियो भी शामिल। सजा सात साल से उम्रकैद तक और जुर्माना।

धारा 196- इलेक्ट्रॉनिक या किसी भी माध्यम से धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्र आदि के आधार पर वैमनस्यता फैलाने पर 3 से 5 साल तक सजा।

धारा 197- इलेक्ट्रॉनिक या किसी भी माध्यम से धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्र आदि के आधार पर राष्ट्रीय एकता को खतरा पहुंचाने पर 3 से 5 साल तक सजा।

साइबर अपराध मतलब- अवैध उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए कंप्यूटर का उपयोग करना, जैसे धोखाधड़ी करना, चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी, पहचान चोरी करना या गोपनीयता का उल्लंघन करना।

बीएनएस के प्रावधान

धारा 77: महिलाओं की वैयक्तिक गतिविधियों को देखने और उन्हें कैमरे या वीडियो में कैद करने पर एक से तीन साल तक सजा।

धारा 78 (1): इंटरनेट, ई-मेल या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से महिला के जीवन में ताकझांक करने को पीछा करना माना जाएगा। अपराध पहली बार तो तीन साल तक की सजा।

धारा 294: किताबों या इलेक्ट्रानिक डिवाइस के माध्यम से अश्लील सामग्री की बिक्री पर 2 से 5 साल सजा और 5 हजार से 10 हजार रुपए जुर्माना।

धारा 299: इलेक्ट्रॉनिक या अन्य किसी माध्यम से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्वक धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने पर तीन साल तक सजा और जुर्माना।

धारा 308: डिजिटल अरेस्ट या किसी भी तरह से संदेश भेजकर धमकी देने (एक्सटॉर्शन) पर 2 से 10 साल तक सजा व जुर्माना। पढे़ं बीएनएस@पेज 19

बीएनएस...

धारा 335: कूटरचित दस्तावेज तैयार करना, जिसमें नया शब्द ’’इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़’’ भी शामिल किया।

धारा 336: जालसाजी, धोखाधड़ी के लिए कूटरचित दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तैयार करने पर सात साल की सजा व जुर्माना।

धारा 337: न्यायालय या सार्वजनिक रिकॉर्ड, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड भी शामिल में जालसाजी करने पर 7 साल की सजा व जुर्माना

धारा 353: फेक न्यूज सहित इलेक्ट्रॉनिक या किसी माध्यम से कोई बयान, झूठी जानकारी, अफवाह फैलाकर सामाजिक समरसता बिगाड़ने पर 3 से 5 साल की सजा व जुर्माना।