Jodhpur रामलला के विराजमान होने का उत्सव तय तिथि के अनुसार 11 जनवरी को ही मनाया जाएगा

Jodhpur रामलला के विराजमान होने का उत्सव तय तिथि के अनुसार 11 जनवरी को ही मनाया जाएगा
 
Jodhpur रामलला के विराजमान होने का उत्सव तय तिथि के अनुसार 11 जनवरी को ही मनाया जाएगा

जोधपुर न्यूज़ डेस्क, जोधपुर  अयोध्या में रामलला की अखंड ज्योत के लिए एक बार फिर जोधपुर से 200 किलो घी ट्रस्ट के पास पहुंचा है। बनाड़ गोशाला के संदीपनी महाराज की ओर से शुक्रवार को ट्रस्टी चंपतराम को जोधपुर की राम नाम लिखी पगड़ी पहनाते हुए घी सुपुर्द किया गया। 200 किलो घी रामलला के विराजमान होने के 1 साल होने पर फिर अखंड ज्योत सहित अनुष्ठान में काम लिया जाएगा। बनाड़ संदीपनी गोशाला के कार्यकर्ताओं सहित महिलाओं की ओर से अनूठे तरीके का मिष्ठान भी बनाकर भोग लगाया गया। महाराज ने बताया कि पिछले दिनों रथयात्रा के रूप में ओरछा में सनातन धर्म जगाने वाली यात्रा में शामिल हुए और फिर अयोध्या पहुंचकर घी सुपुर्द करते हुए रामलला के दर्शन किए।

इससे पहले भी रामलला के विराजमान किए जाने पर भी जोधपुर से घी और कई सामग्री अयोध्या भेजी गई थी।अब एक वर्ष पूर्ण होने पर भी घी भेजा गया है। महाराज ने बताया कि अयोध्या में इन दिनों 45 दिवसीय हवन 33 कोटि देवताओं का आह्वान करते हुए किया जा रहा है। इस दौरान पूरे देश के 1250 पंडित वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन में आहुतियां देते हुए विश्व शांति की कामना कर रहे हैं। 18 नवंबर से 1 जनवरी तक 45 दिन का अनुष्ठान सेवाकारपुरम में देशहित व विश्व शांति सहित दुर्गासप्तशमी, शिवपुराण, रामचरित मानस पाठ, रुद्री पाठ आदि किए जा रहे हैं।

साथ ही इस बार अयोध्या में तिथि के अनुसार 22 जनवरी की बजाय 11 जनवरी को रामलला विराजमान होने के 1 साल का उत्सव मनाया जाएगा। इसके लिए 3 दिन तक विशाल हवन सहित पूजन कार्यक्रम भी होगा, जिसमें देशभर से श्रद्धालु सहित संत शामिल होंगे। महाराज ने बताया कि रामलला सहित हनुमानगढ़ी में अनूठे तरीके से तैयार किए मिष्ठान का भोग लगाया गया।यह मिष्ठान बनाड़ स्थित गोशाला में पानी, जड़ी-बूटियों, मिश्री के मिश्रण को सेककर तैयार किया गया। इसके सेवन से याददाश्त सहित एनर्जी भी मिलेगी। अयोध्या राम मंदिर के ट्रस्टी चंपतराय से गोशाला के महाराज सहित श्रद्धालुओं ने भेंट करते हुए घी सुपुर्द किया और रामनाम लिखी पगड़ी पहनाकर आभार व्यक्त किया। 1200 पगड़ियां भी सुपुर्द करते हुए जोधपुर की पहचान कायम की गई।